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मुख्य बिंदु
- – यह गीत गणराज (भगवान गणेश) की आराधना और उनके शीघ्र आगमन की विनती करता है।
- – भक्त गणेश से अपने कष्टों को दूर करने और भवसागर (जीवन के दुखों) से पार लगाने की प्रार्थना करते हैं।
- – विघ्न विनायक के रूप में गणेश को विघ्नों को हराने वाला माना गया है।
- – गीत में राग पहाड़ी का उल्लेख है, जो संगीत के माध्यम से भक्ति भाव को प्रकट करता है।
- – भक्तों की नैया पार लगाने और संकटों से मुक्ति दिलाने की गुजारिश की गई है।
- – समापन में गणराज से सभा में शीघ्र आने का आग्रह बार-बार दोहराया गया है।

भजन के बोल
बेगा सा पधारो जी,
सभा में म्हारे आओ गणराज,
थे बेगा पधारो जी ॥
भक्त खड़े था की बाट निहारे,
भक्त खड़े था की बाट निहारे,
भव सागर से क्यों नहीं तारे,
भव सागर से क्यों नहीं तारे,
भव सागर से क्यों नहीं तारे,
देर ना लगाओ जी,
सभा में म्हारे आओ गणराज,
थे बेगा पधारो जी ॥
विघन विनायक रूप तिहारो,
विघन विनायक रूप तिहारो,
मेरे गणपति कष्ट निवारो,
मेरे गणपति कष्ट निवारो,
मेरे गणपति कष्ट निवारो,
हमको तारो ना,
सभा में म्हारे आओ गणराज,
थे बेगा पधारो जी ॥
‘अवि’ की नैया पार लगाओ,
भक्तों की नैया पार लगाओ,
राग पहाड़ी में विनती गायो,
राग पहाड़ी में विनती गायो,
राग पहाड़ी में विनती गायो,
सुर को सम्भालो ना,
सभा में म्हारे आओ गणराज,
थे बेगा पधारो जी ॥
बेगा सा पधारो जी,
सभा में म्हारे आओ गणराज,
थे बेगा पधारो जी ॥
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
