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भजन: भगवान तुम्हारे चरणों में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ – Bhagwan Tumhare Charno Mein Main Tumhe Rijhane Aaya Hun – Bhajan: Bhagwan Tumhare Charno Mein, Main Tumhe Rijhane Aaya Hun – Hinduism FAQ

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मुख्य बिंदु

  • – यह कविता भगवान के चरणों में विनम्रता और भक्ति के भाव को व्यक्त करती है।
  • – कवि अपनी वाणी में मिठास न होने के बावजूद, विनय और भक्ति के साथ भगवान को रिझाने आया है।
  • – वह स्वयं को भिक्षुक मानता है और भगवान को दाता, जो सब कुछ देने वाले हैं।
  • – कवि सेवा के लिए कोई भौतिक वस्तु नहीं लाता, बल्कि अपने आँसुओं और हार को भगवान को अर्पित करता है।
  • – यह कविता श्रद्धा, समर्पण और आत्मीय भक्ति की भावना को दर्शाती है।

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भजन के बोल

भगवान तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ,
वाणी मैं तनिक मिठास नही,
पर विनय सुनाने आया हूँ ॥
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नही,
आँखो के दोनो प्यालो मैं,
कुछ भीख माँगने आया हूँ,
भगवान तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
तुमसे लेकर क्या भेंट धरू,
भगवान आप के चरणों में,
मैं भिक्षुक हूँ तुम दाता हो,
सम्बन्ध बताने आया हूँ,
भगवान तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
सेवा को कोई वस्तु नही,
फिर भी मेरा साहस देखो,
रो रो कर आज आँसुओ का,
मैं हार चढ़ाने आया हूँ,
भगवान तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
भगवान तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ,
वाणी मैं तनिक मिठास नही,
पर विनय सुनाने आया हूँ ॥

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