तुझे आज रे,
ओ मेरे बाला बलवान रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
कारज बनावे,
पल में नैया पार लगावे,
पार लगावे,
मारुती नंदन हे दुखभंजन,
कर दो भव से पार रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
माँ अंजनी के तुम हो दुलारे,
तुम हो दुलारे,
सियाराम को भी लगते हो प्यारे,
लगते हो प्यारे,
भक्तों के ही बस में आते,
महावीर हनुमान रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
इन नैनो की प्यास बुझा दो,
प्यास बुझा दो,
सोए हुए मेरे भाग्य जगा दो,
भाग्य जगा दो,
जो भी तेरी शरण में आए,
कर दे मालामाल रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
तेरी महिमा सब जग गावे,
सब जग गावे,
शोभा तेरी वर्णी ना जावे,
वर्णी ना जावे,
भक्ति जगाकर ‘अमन’ के दिल में,
देना राम मिलाय रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे,
तुझे आज रे,
ओ मेरे बाला बलवान रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
भजन: भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे
हनुमान जी की महिमा को समर्पित इस भजन में भक्त की गहन प्रार्थना और उनके संकटमोचक स्वरूप का उल्लेख है। हर पंक्ति गहराई से उनकी भक्ति, उनके चमत्कारिक गुणों और उनके द्वारा किए गए उपकारों को उजागर करती है। आइए अब प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को गहराई से समझते हैं।
भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे, तुझे आज रे
इस पंक्ति में भक्त हनुमान जी को आत्मीय भाव से पुकार रहा है। “तुझे आज रे” से यह स्पष्ट होता है कि यह पुकार उस समय की है, जब भक्त को तत्काल सहायता की आवश्यकता है। हनुमान जी की महिमा यही है कि वे हर समय, हर स्थान पर अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं।
गहराई से अर्थ:
यह पंक्ति हनुमान जी के सर्वसुलभ स्वभाव को दर्शाती है। वे केवल विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से नहीं, बल्कि सच्चे दिल से की गई पुकार से ही भक्तों के पास आ जाते हैं। भक्त और भगवान के इस सरल संबंध को यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
ओ मेरे बाला बलवान रे
“बाला” शब्द एक आत्मीय संबोधन है, जिसमें स्नेह और विश्वास झलकता है। “बलवान” शब्द से उनकी महान शक्ति का उल्लेख होता है।
गहराई से अर्थ:
हनुमान जी का व्यक्तित्व दो पहलुओं का समन्वय है—स्नेह और शक्ति। एक ओर वे स्नेह और दया से परिपूर्ण हैं, दूसरी ओर उनके बल और वीरता की कहानियाँ अमर हैं। भक्त उन्हें अपने मित्र, संरक्षक और रक्षक के रूप में देखता है।
अटके हुए तू सारे कारज बनावे, पल में नैया पार लगावे
हनुमान जी के चमत्कारिक गुणों का यहाँ वर्णन है। “अटके हुए कारज” से तात्पर्य जीवन की वे समस्याएँ हैं, जो कठिन और असंभव लगती हैं। “पल में नैया पार लगावे” का अर्थ है कि वे इन्हें शीघ्रता और सरलता से सुलझाते हैं।
गहराई से अर्थ:
यहाँ हनुमान जी की भूमिका जीवन के मार्गदर्शक और संकटमोचक के रूप में प्रस्तुत की गई है। वे केवल बाहरी समस्याओं को हल नहीं करते, बल्कि आंतरिक द्वंद्व, भय और शंकाओं को भी समाप्त करते हैं। उनके आशीर्वाद से भक्त को आत्मविश्वास और साहस प्राप्त होता है।
मारुती नंदन हे दुखभंजन, कर दो भव से पार रे
हनुमान जी को “मारुती नंदन” यानी पवन देव के पुत्र के रूप में संबोधित किया गया है। “दुखभंजन” का अर्थ है वे जो सभी कष्टों को हर लेते हैं। “भव से पार” का मतलब है सांसारिक बंधनों और कष्टों से मुक्ति।
गहराई से अर्थ:
यहाँ भजन मोक्ष की अवधारणा को छूता है। सांसारिक जीवन में दुःख, मोह और माया के बंधन से मुक्ति पाना हर भक्त की इच्छा होती है। हनुमान जी अपने भक्तों को इस भौतिक संसार के जाल से निकालकर परम शांति और मोक्ष की ओर ले जाते हैं।
माँ अंजनी के तुम हो दुलारे, सियाराम को भी लगते हो प्यारे
हनुमान जी की पारिवारिक और आध्यात्मिक पहचान का यह वर्णन है। माता अंजनी के दुलारे पुत्र होने के साथ-साथ वे भगवान राम और माता सीता को भी अत्यंत प्रिय हैं।
गहराई से अर्थ:
हनुमान जी के जीवन में दोनों ही प्रकार के प्रेम दिखाई देते हैं—मातृ प्रेम और ईश्वर के प्रति भक्ति। इस पंक्ति में उनकी व्यक्तिगत और आध्यात्मिक यात्रा का समन्वय प्रस्तुत किया गया है। यह इस बात का प्रतीक है कि सच्चे भक्त और ईश्वर के बीच हमेशा एक आत्मीयता का रिश्ता होता है।
भक्तों के ही बस में आते, महावीर हनुमान रे
हनुमान जी को “महावीर” कहा गया है, जो उनकी अद्वितीय वीरता और शक्ति का प्रतीक है। “भक्तों के ही बस में आते” का अर्थ है कि वे केवल अपने भक्तों के प्रेम और भक्ति के अधीन हैं।
गहराई से अर्थ:
यह पंक्ति हनुमान जी की विनम्रता और उनकी भक्ति के प्रति समर्पण को दर्शाती है। उनकी महिमा केवल उनकी शक्ति तक सीमित नहीं है; यह उनके भक्तों के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा और प्रेम में भी झलकती है।
इन नैनो की प्यास बुझा दो, सोए हुए मेरे भाग्य जगा दो
इस पंक्ति में भक्त अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और आध्यात्मिक जागृति की प्रार्थना कर रहा है। “नैनों की प्यास” का अर्थ है भगवान के दिव्य दर्शन की इच्छा। “सोए हुए भाग्य” का अर्थ है जीवन में छुपी हुई संभावनाओं का जागरण।
गहराई से अर्थ:
यह पंक्ति हनुमान जी की कृपा के माध्यम से भक्त के जीवन में नए सृजन और जागृति की कामना को दर्शाती है। यह केवल सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति नहीं, बल्कि आत्मा के आध्यात्मिक उत्थान की बात करती है।
आगे की पंक्तियों का विस्तृत विवरण अगले भाग में प्रस्तुत किया जाएगा।
जो भी तेरी शरण में आए, कर दे मालामाल रे
इस पंक्ति में हनुमान जी की कृपा का ऐसा वर्णन है, जो हर प्रकार की अभावग्रस्तता और कष्ट को समाप्त कर देता है। “मालामाल” शब्द यहाँ केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक समृद्धि की भी बात करता है।
गहराई से अर्थ:
हनुमान जी की शरण में आने से भक्त को हर प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती है। यह समृद्धि न केवल धन-दौलत में, बल्कि आंतरिक शांति, संतोष, और आत्मबल में भी होती है। यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण का फल हमेशा सकारात्मक होता है।
तेरी महिमा सब जग गावे, शोभा तेरी वर्णी ना जावे
हनुमान जी की महिमा इतनी असीम है कि इसे पूरी तरह से व्यक्त करना असंभव है। “शोभा तेरी वर्णी ना जावे” का अर्थ है कि उनकी दिव्यता का पूरा वर्णन करना मानव के लिए संभव नहीं है।
गहराई से अर्थ:
यह पंक्ति इस बात पर बल देती है कि हनुमान जी के गुण, शक्ति, और भक्ति के आयाम अनंत हैं। भले ही संसार उनका गुणगान करता है, उनकी वास्तविक महिमा तो केवल वही जानते हैं। यह उनके अलौकिक और दिव्य स्वरूप का प्रतीक है।
भक्ति जगाकर ‘अमन’ के दिल में, देना राम मिलाय रे
यहाँ भक्त हनुमान जी से प्रार्थना कर रहा है कि वे उनके हृदय में रामभक्ति की ज्योति जलाएं और उन्हें भगवान राम से जोड़ दें।
गहराई से अर्थ:
हनुमान जी केवल एक संकटमोचक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी हैं। यह पंक्ति उनके उन गुणों को उजागर करती है, जहाँ वे भक्त को ईश्वर के समीप ले जाने वाले माध्यम बनते हैं। “अमन” का प्रतीक यहाँ शांत और निर्मल हृदय है। रामभक्ति के माध्यम से हनुमान जी भक्त को परम सत्य की ओर ले जाते हैं।
भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे, तुझे आज रे, ओ मेरे बाला बलवान रे
भजन की इस अंतिम पुनरावृत्ति में भक्त फिर से हनुमान जी को पुकारता है, जैसे अपने हृदय की गहराई से उन्हें अपने करीब बुला रहा हो।
गहराई से अर्थ:
यह पुनरावृत्ति इस बात की पुष्टि करती है कि सच्ची भक्ति में धैर्य और निरंतरता आवश्यक है। हनुमान जी को बार-बार पुकारने से भक्त और भगवान के बीच का संबंध और भी प्रगाढ़ हो जाता है। भक्त इस पंक्ति में अपनी सभी इच्छाओं, समस्याओं और समर्पण को एक बार फिर से व्यक्त करता है।
भजन का सार
भजन “भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे” में भक्त और भगवान के संबंध का विस्तारपूर्वक वर्णन है। यह भजन केवल हनुमान जी की महिमा का गायन नहीं है, बल्कि यह हमें उनकी भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा के महत्व को समझने का अवसर भी देता है।
- हनुमान जी का संकटमोचक स्वरूप:
भजन के कई अंश इस बात पर बल देते हैं कि हनुमान जी अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। - भक्ति का महत्व:
भजन बार-बार इस बात पर जोर देता है कि हनुमान जी केवल सच्चे भक्तों के अधीन रहते हैं। भक्त का प्रेम और समर्पण उन्हें खींच लाता है। - आध्यात्मिक उत्थान:
भजन के कई भागों में सांसारिक बंधनों से मुक्ति और ईश्वर के समीप पहुँचने की कामना व्यक्त की गई है। हनुमान जी को भगवान राम के साथ भक्त को जोड़ने वाले सेतु के रूप में दिखाया गया है। - उनकी असीमता:
उनकी महिमा का विस्तार करते हुए, यह बताया गया है कि उनकी शोभा का वर्णन करना असंभव है। उनका स्वरूप असीम और अनंत है।
निष्कर्ष
यह भजन केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि भक्त और भगवान के बीच के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इसे गाते या सुनते समय भक्त का हृदय हनुमान जी के प्रति आभार और भक्ति से भर जाता है। हनुमान जी की महिमा का यह भावपूर्ण वर्णन न केवल हमें उनसे जुड़ने का मार्ग दिखाता है, बल्कि हमारी आत्मा को शांति और बल भी प्रदान करता है।
