मुख्य बिंदु
- – यह भजन भगवान गणेश (गौरी के ललन) की स्तुति में लिखा गया है, जो भक्तों के द्वार पधारने और उनके बिगड़े काम बनाने की प्रार्थना करता है।
- – भजन में पूजा की तैयारी, फूल, धूप-दीप, मिठाई और भोग सजाने का वर्णन है, जो श्रद्धा और भक्ति से भरा होता है।
- – भक्त गणपति की महिमा गाते हैं, ढोल-नगाड़े बजाते हैं और जयकार लगाते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
- – गणपति को महामाई, भोलेनाथ और गौरी के पुत्र के रूप में सम्मानित किया गया है, जो सभी संकटों को दूर करने वाले हैं।
- – भजन में भक्तों की लगन और भक्ति को विशेष महत्व दिया गया है, जो भगवान के द्वार पर सदा मगन रहते हैं।

भजन के बोल
भक्तो के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन,
हर बिगड़े काज सवारों,
प्यारे गौरी के ललन,
गौरी के ललन,
महामाई के ललन,
भोलेनाथ के ललन,
भक्तो के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन ॥
भाँति भाँती के फूल मँगाए,
मंडप द्वार सजाए है,
श्रद्धा भक्ति और लगन से,
अंगना चौक पुराए है,
धुप दिप से महक उठे,
भक्तो के घर आँगन,
भक्तों के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन ॥
पूजा थाल सजाई पावन,
घी के दिप जलाए है,
मेवा खीर मिठाई लाडू,
मोदक भोग बनाए है,
मूषक वाहन बैठ,
चले आओ गिरिजानंदन,
भक्तों के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन ॥
ढोल मंजीरे झांझ बजा,
गुणगान तुम्हारे गाते है,
गौरी सूत गिरजेश पधारो,
जय जयकार लगाते है,
भक्तो में गणराज आज,
बस लागि यही लगन,
भक्तों के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन ॥
लम्बोदर गणपति द्वार पे,
भक्त जनो के आ जाओ,
बिगड़ी बात बनाओ,
सारे बिगड़े काज बना जाओ,
सदा ‘तिवारी’ कहे भक्ति में,
होकर यूँही मगन,
भक्तों के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन ॥
भक्तो के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन,
हर बिगड़े काज सवारों,
प्यारे गौरी के ललन,
गौरी के ललन,
महामाई के ललन,
भोलेनाथ के ललन,
भक्तो के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन ॥
