मुख्य बिंदु
- – यह गीत “बोल सुवा राम राम, मीठी मीठी वाणी रे” भक्ति और प्रेम की भावना को दर्शाता है।
- – राम और कृष्ण के माध्यम से सुख और दुःख का उल्लेख किया गया है, जहाँ राम से सुख और कृष्ण से दुःख का निवारण होता है।
- – गीत में मीठी वाणी, सौंदर्य और प्रेम के प्रतीक के रूप में सुवा (तोता) का वर्णन है, जो सोने के डाल, मोतियों वाली झालरी और चंपा के डालों से सजाया गया है।
- – पारंपरिक मिठाईयों और रसों का उल्लेख है, जो प्रेम और भक्ति के माहौल को और भी मधुर बनाते हैं।
- – गीत में मीरा और गिरधारी (कृष्ण) का उल्लेख है, जो भक्ति और आध्यात्मिक सुख पाने का प्रतीक हैं।
- – समग्र रूप से यह गीत प्रेम, भक्ति, और मीठी वाणी के महत्व को सरल और सुंदर भाषा में प्रस्तुत करता है।

भजन के बोल
बोल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
दोहा
– राम किया सुख उपजे,
और कृष्ण किया दुःख जाय,
एक बार हरी ॐ रटे,
तो भव बंधन मिट जाय ॥
बोल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे,
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
सोने के डाल सुवा,
पिंजरों घलाउ रे,
पिंजरे में मोत्यां वाली,
झालरी लगाउ रे,
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
चंपा के डाल सुवा,
हिंडोरो घलाउ रे,
हिंडोरे बिठा में थाने,
हाथ स्यु हिंडावु रे,
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
घिरत मिठाई सुवा,
लापसी बनाऊ रे,
आँवले रो रस तने,
घोल घोल पावू रे,
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
पगलिया रे माई तने,
पजड़िया पहनाऊ रे,
मीरा गिरधारी सरने,
आया सुख पाऊ रे,
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे,
बोंल सुवा राम राम,
मीठी मीठी वाणी रे ॥
