मुख्य बिंदु
- – यह गीत भगवान हनुमान से संजीवनी बूटी लाने की प्रार्थना है ताकि लक्ष्मण की जान बचाई जा सके।
- – असुरों ने लक्ष्मण को घायल कर दिया है और उसकी जान खतरे में है, इसलिए संजीवनी बूटी की आवश्यकता है।
- – बजरंग बाला (हनुमान) को द्रोणगिरी पर्वत पर बूटी खोजने के लिए भेजा जाता है, लेकिन वहां माया और बाधाएं आती हैं।
- – हनुमान पर्वत उठाकर अयोध्या लौटते हैं, जहां वीर भरत और वानर सेना उनकी सहायता करते हैं।
- – गीत में राम, लक्ष्मण, हनुमान और भरत के बीच गहरा प्रेम और समर्पण दर्शाया गया है।
- – यह गीत संकट के समय भगवान हनुमान की भक्ति और उनकी शक्ति का महत्त्व बताता है।

भजन के बोल
बूटी ला दे रे बालाजी,
बूटी ला दे रे,
कहे ये राम पुकार,
ओ मेरे पवनकुमार,
लखन के प्राण बचा ले रे,
बुटी ला दे रे बालाजी,
बूटी ला दे रे ॥
असुरो ने इसे शक्ति लगाई,
मेरे लखन ने सुध बिसराई,
देखो ये कैसे सोया है,
मेरा सब कुछ ही खोया है,
संजीवन बूटी जो आए,
मेरा लखन जीवित हो जाए,
ना इनका ना मेरे बस का,
काम है ये बस तेरे बस का,
जा जल्दी जा बूटी तू ले आ,
देर कहीं ना हो जाए ज्यादा,
बुटी ला दे रे,
बुटी ला दे रे बालाजी,
बुटी ला दे रे ॥
पहले वन में खोई नारी,
अब मुश्किल भाई पे भारी,
अवधपुरी कैसे जाऊंगा,
माँ को क्या मुंह दिखलाऊंगा,
लक्ष्मण है इकलौता बेटा,
सुधबुध खोकर ये है लेटा,
ओ बालाजी संकट टारो,
संकट मोचन नाम तिहारो,
द्रोणागिरी पर्वत पर जाओ,
संजीवन को ढूंढ के लाओ,
देखो ना ज्यादा देर लगाना,
भोर से पहले वापस आना,
बुटी ला दे रे,
बुटी ला दे रे बालाजी,
बुटी ला दे रे ॥
इतना सुनकर बजरंग बाला,
शीश नवाकर हो मतवाला,
उड़ गया ऊँचे अम्बर में वो,
ओझल हो गया नजरों से वो,
द्रोणगिरी पर वो जा पंहुचा,
माया रच दी असुरो ने वहाँ,
जब बूटी ना मिली हनुमत को,
ढूंढ ढूंढ के झुंझला गया वो,
कब पूरा पर्वत ही उठाया,
और अयोध्या पर जब आया,
तीर चलाया वीर भरत ने,
राम नाम बोला हनुमत ने,
धरती पर जब गिरे हनुमंता,
वीर भरत को हो गई चिंता,
हनुमत ने सब हाल सुनाया,
सुन के भरत ने शीघ्र पठाया,
सूर्योदय से पहले बेखबर,
जोर जोर से बोले वानर,
बुटी ला दे रे,
बुटी लाए रे बालाजी,
बुटी लाए रे ॥
बूटी ला दे रे बालाजी,
बूटी ला दे रे,
कहे ये राम पुकार,
ओ मेरे पवनकुमार,
लखन के प्राण बचा ले रे,
बुटी ला दे रे बालाजी,
बूटी ला दे रे ॥
