मुख्य बिंदु
- – कबीर दास ने जीवन की शुरुआत और अंत में हंसी और रोने की तुलना की है, और ऐसी कर्मठता की प्रेरणा दी है जिससे हम खुश रहें और संसार दुखी हो।
- – चादर (चदरिया) को सूक्ष्म, नाजुक और राम नाम के रस से भीनी हुई बताया गया है, जो आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है।
- – चादर बनाने में प्रकृति के पांच तत्व और नौ-दस महीने की मेहनत लगती है, परन्तु मूर्ख लोग इसे मैली समझते हैं।
- – चादर को रंगने वाले रंगरेज ने इसे लाल रंग दिया, जो जीवन में प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
- – शंका न करने और जीवन की क्षणभंगुरता को समझने का संदेश दिया गया है, क्योंकि यह चादर केवल दो दिन के लिए है।
- – ध्रुव, प्रहलाद, सुदामा, शुकदेव और दास कबीर जैसे संतों ने इस शुद्ध चादर को अपनाया, जो राम नाम के रस से भरी हुई है।

भजन के बोल
दोहा:
कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे हम रोये,
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे जग रोये।
चदरिया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
अष्ट कमल का चरखा बनाया,
पांच तत्व की पूनी,
नौ दस मास बुनन को लागे,
मूरख मैली किनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
जब मोरी चादर बन घर आई,
रंगरेज को दिनी,
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,
के लालो लाल कर दिनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
चादर ओढ़ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दिनी,
मूरख लोग भेद नहीं जाने,
दिन दिन मैली किनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी,
शुकदेव ने निर्मल किनी,
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यो की त्यों धर दिनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
