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मुख्य बिंदु
- – वृंदावन को प्रेम और भक्ति का केंद्र बताया गया है, जहाँ कृष्णा का नाम और प्रेम का रस बहे।
- – राधा और कृष्णा की भक्ति और प्रेम की डोर को जीवन का मार्ग माना गया है।
- – वृंदावन की प्राकृतिक सुंदरता और मंदिरों की महिमा का वर्णन किया गया है, जो मन को आनंदित करती है।
- – कृष्णा की कृपा और शरण की आवश्यकता पर बल दिया गया है, जिससे मन पवित्र और शीतल हो जाता है।
- – इस गीत में वृंदावन की ओर चलने का आह्वान है, जहाँ भक्ति और प्रेम की अनुभूति होती है।

भजन के बोल
चलो मन वृन्दावन की ओर,
प्रेम का रस जहाँ छलके है,
कृष्णा नाम से भोर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥
भक्ति की रीत जहाँ पल पल है,
प्रेम प्रीत की डोर,
राधे राधे जपते जपते,
दिख जाए चितचोर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥
उषा की लाली के संग जहाँ,
कृष्णा कथा रस बरसे,
राधा रास बिहारी के मंदिर,
जाते ही मनवा हरषे,
ब्रिज की माटी चंदन जैसी,
मान हो जावे विभोर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥
BhaktiBharat Lyrics
वन उपवन में कृष्णा की छाया,
शीतल मन हो जाए,
मन भी हो जाए अति पावन,
कृष्णा कृपा जो पाए,
नारायण अब शरण तुम्हारे,
कृपा करो इस ओर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
