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भजन: कोई लाख करे चतुरायी, करम का लेख मिटे ना रे भाई – Bhajan: Koi Lakh Kare Chaturayi Karam Ka Lekh Naa Mite Bhai

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कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥
जरा समझो इसकी सच्चाई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥
इस दुनिया में,
भाग्य के आगे,
चले ना किसी का उपाय,
कागद हो तो,
सब कोई बांचे,
करम ना बांचा जाए,
इस दिन इसी,
किस्मत के कारण,
वन को गए थे रघुराई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

काहे मनवा धीरज खोता,
काहे तू नाहक रोए,
अपना सोचा कभी ना होता,
भाग्य करे तो होए,
चाहे हो राजा चाहे भिखारी,
ठोकर सभी ने यहाँ खायी रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
करम का लेख मिटे ना रे भाई ॥

भजन: कोई लाख करे चतुरायी, करम का लेख मिटे ना रे भाई

भजन का गहन विश्लेषण और परिप्रेक्ष्य

यह भजन केवल कर्म और भाग्य की व्याख्या नहीं करता, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के कई गहरे पहलुओं को छूता है। इसमें मानव जीवन के संघर्षों, उसकी सीमाओं और ईश्वर के प्रति समर्पण को एक सरल, सटीक, और गहरे अर्थों वाले शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक पंक्ति में एक दार्शनिक सत्य छिपा है, जो हमें जीवन में आत्मचिंतन और सुधार के लिए प्रेरित करता है।


कोई लाख करे चतुरायी, करम का लेख मिटे ना रे भाई

गहन अर्थ और संदर्भ

“चतुरायी” यहाँ केवल मानव की चतुरता, चालाकी, या योजना बनाने की क्षमता को नहीं दर्शाती, बल्कि यह उस अहंकार की ओर भी संकेत करती है, जो यह मानता है कि वह अपने कर्मों और भाग्य को पूरी तरह नियंत्रित कर सकता है।

  • भजन यह सिखाता है कि जीवन के कई पहलू हमारे प्रयासों और सोच के दायरे से बाहर होते हैं।
  • “करम का लेख” का अर्थ है कि जो हमारे पूर्व कर्मों के आधार पर ईश्वर या प्रकृति ने लिखा है, वह अटल है। यह “कर्म सिद्धांत” का मूल है, जिसमें कहा गया है कि हर कार्य का फल होता है, और यह फल हमारे जीवन को प्रभावित करता है।
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आध्यात्मिक दृष्टिकोण

यहाँ चतुरायी केवल बाहरी योजनाओं को नहीं, बल्कि मानव के भीतर की मानसिक और भावनात्मक चालाकियों को भी इंगित करती है। व्यक्ति अक्सर अपने कर्तव्यों और सच्चाई से भागने के लिए बहाने बनाता है। भजन यह स्पष्ट करता है कि कर्म के सिद्धांत से कोई भी बच नहीं सकता।

धार्मिक संदेश

इस पंक्ति में यह संदेश भी छिपा है कि ईश्वर के न्याय को चुनौती देना संभव नहीं। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हर कार्य और उसका फल ईश्वर के नियंत्रण में है।


जरा समझो इसकी सच्चाई रे, करम का लेख मिटे ना रे भाई

गहन अर्थ और व्याख्या

“सच्चाई” शब्द गहरे आत्मनिरीक्षण का प्रतीक है। यह भजन हमें केवल बाहरी सच्चाई को नहीं, बल्कि जीवन के उन नियमों को समझने की प्रेरणा देता है, जो अदृश्य हैं।

  • यह हमें आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझने की ओर प्रेरित करता है।
  • “करम का लेख” का तात्पर्य यह है कि हर व्यक्ति के कर्म उसके जीवन के अनुभवों को आकार देते हैं। यह सच्चाई मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

जीवन में स्वीकृति का महत्व

यह पंक्ति बताती है कि वास्तविकता को समझना और स्वीकार करना जीवन के लिए आवश्यक है। जीवन के संघर्षों और चुनौतियों को भाग्य के संदर्भ में समझने से मन में शांति आती है।


इस दुनिया में, भाग्य के आगे, चले ना किसी का उपाय

गहरा विश्लेषण और जीवन दर्शन

यह पंक्ति भाग्य और कर्म के अंतर्संबंध को गहराई से समझाती है।

  • “भाग्य” का अर्थ उन परिस्थितियों और परिणामों से है, जो हमारे पूर्व कर्मों के आधार पर बनते हैं।
  • “उपाय” का यहाँ मतलब मानव की इच्छाओं और प्रयासों से है। यह भजन स्पष्ट करता है कि भाग्य के सामने मानव का प्रयास हमेशा सीमित होता है।

कर्म-भाग्य चक्र का संबंध

यहाँ यह समझाना महत्वपूर्ण है कि भाग्य कर्म का ही विस्तार है। यह भजन यह संकेत करता है कि भाग्य को बदलने का एकमात्र उपाय सही कर्म करना है।

व्यावहारिक शिक्षा

यह पंक्ति हमें यह समझने की प्रेरणा देती है कि जीवन में हर प्रयास सफल नहीं होता। हमें उन चीजों को स्वीकार करना सीखना चाहिए, जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं।


कागद हो तो, सब कोई बांचे, करम ना बांचा जाए

गहन अर्थ और गूढ़ता

“कागद” यहाँ प्रतीकात्मक है, जो इस बात का संकेत देता है कि मानव ज्ञान और प्रयास सीमित हैं।

  • यदि कर्म का लेखा-जोखा कागज पर लिखा होता, तो हर कोई इसे पढ़कर समझ सकता।
  • लेकिन कर्म का लेखा इतना गूढ़ और गहन है कि इसे केवल ईश्वर ही समझ सकते हैं।
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दार्शनिक दृष्टिकोण

यह पंक्ति मानव के आत्मविश्वास और सीमित बुद्धि पर प्रकाश डालती है। भजन यह बताता है कि मानव अपने जीवन के हर पहलू को जानने और नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है। यह हमें अपने अहंकार को त्यागने और ईश्वर पर विश्वास करने की प्रेरणा देता है।

शिक्षा और प्रेरणा

इससे हमें यह समझने को मिलता है कि जीवन का हर अनुभव, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, हमारे विकास और आत्म-सुधार के लिए आवश्यक है।


इस दिन इसी, किस्मत के कारण, वन को गए थे रघुराई रे

रामायण संदर्भ और आध्यात्मिक संदेश

यह पंक्ति भगवान राम के वनवास की घटना का उल्लेख करती है।

  • भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, उन्हें भी अपने कर्म और भाग्य का सामना करना पड़ा।
  • यह घटना इस बात का प्रतीक है कि यहाँ तक कि ईश्वर भी अपने द्वारा बनाए गए कर्म-भाग्य चक्र से बाहर नहीं हैं।

जीवन के संघर्ष और कर्तव्य

भगवान राम के वनवास का यह संदर्भ हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ केवल भाग्य का परिणाम हैं। हमें उन कठिनाइयों से भागने के बजाय उनका सामना करना चाहिए और अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।

शिक्षा:

  • जीवन के संघर्षों को स्वीकार करें।
  • उन्हें अपने कर्तव्य के साथ जोड़ें, क्योंकि यही वास्तविक धर्म है।

काहे मनवा धीरज खोता, काहे तू नाहक रोए

गहन अर्थ और व्याख्या

यह पंक्ति मानवीय स्वभाव की ओर संकेत करती है। जब जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तो मनुष्य अक्सर हताश हो जाता है और रोने या शिकायत करने लगता है।

  • “काहे मनवा धीरज खोता”: यह प्रश्न हमें आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करता है। मन को धैर्य क्यों खोना चाहिए, जब कर्म और भाग्य का सिद्धांत पहले से तय है?
  • “काहे तू नाहक रोए”: रोने और दुखी होने से जीवन के सत्य और चुनौतियाँ नहीं बदलतीं।

धैर्य और सहनशीलता का महत्व

यह भजन सिखाता है कि जीवन में धैर्य बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण गुण है। हर परिस्थिति में, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो, हमें मानसिक स्थिरता और धीरज बनाए रखना चाहिए।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

यह पंक्ति हमें यह भी सिखाती है कि रोने या परेशान होने से जीवन की कठिनाइयाँ समाप्त नहीं होंगी। इसका समाधान केवल ईश्वर पर विश्वास और अपने कर्म को निष्ठा से निभाने में है।


अपना सोचा कभी ना होता, भाग्य करे तो होए

गहराई से विश्लेषण

यहाँ यह विचार व्यक्त किया गया है कि मनुष्य की योजना और सोच हमेशा साकार नहीं होती।

  • “अपना सोचा कभी ना होता”: हमारी इच्छाएँ और योजनाएँ, चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हों, हमेशा हमारे अनुकूल नहीं होतीं।
  • “भाग्य करे तो होए”: जो भाग्य में लिखा होता है, वही होता है।

कर्म और भाग्य का संबंध

भाग्य कर्म का ही विस्तार है। इस पंक्ति का तात्पर्य यह है कि भाग्य, हमारे अतीत के कर्मों का परिणाम होता है। हम जो सोचते हैं या चाहते हैं, वह तभी साकार होगा, जब हमारे कर्म उसके अनुकूल होंगे।

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शिक्षा:

यह पंक्ति हमें सिखाती है कि हमें अपनी परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए वर्तमान में अच्छे कर्म करने चाहिए। केवल सही कर्म ही भविष्य को सकारात्मक बना सकते हैं।


चाहे हो राजा, चाहे भिखारी, ठोकर सभी ने यहाँ खायी रे

जीवन का गहन सत्य

यह पंक्ति मानव जीवन के सार्वभौमिक सत्य को प्रकट करती है।

  • “चाहे हो राजा” का अर्थ है कि जीवन की कठिनाइयाँ और संघर्ष केवल सामान्य व्यक्तियों तक सीमित नहीं हैं।
  • “चाहे भिखारी”: भले ही व्यक्ति साधारण हो या उच्च पद पर हो, कर्म और भाग्य के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता।
  • “ठोकर सभी ने यहाँ खायी रे”: इस संसार में हर व्यक्ति ने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर कठिनाई का सामना किया है।

समानता का सिद्धांत

यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि कर्म-भाग्य का नियम सार्वभौमिक है। यह सभी पर समान रूप से लागू होता है, चाहे उनका सामाजिक, आर्थिक, या आध्यात्मिक स्तर कुछ भी हो।

प्रेरणा और मार्गदर्शन

यह संदेश देता है कि जीवन में कठिनाइयाँ केवल हमारे लिए नहीं हैं। हर किसी को संघर्ष का सामना करना पड़ता है। हमें इसे जीवन के हिस्से के रूप में स्वीकार करना चाहिए और अपने कर्म के प्रति ईमानदारी बनाए रखनी चाहिए।


भजन का गहन सारांश

जीवन का संतुलन और स्वीकार्यता

यह भजन जीवन के उन पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जो हमारी समझ और प्रयास से परे हैं। इसमें कर्म और भाग्य के नियमों को स्वीकार करने और जीवन में धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा दी गई है।

  • भजन यह सिखाता है कि “करम का लेख” ईश्वर के न्याय का प्रतीक है।
  • इसे स्वीकार करना और ईश्वर में आस्था रखना ही सच्चा समाधान है।

ईश्वर के प्रति समर्पण

  • यह भजन व्यक्ति को अपने अहंकार और चिंता से मुक्त होने और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना विकसित करने की प्रेरणा देता है।
  • भगवान राम का वनवास इस बात का उदाहरण है कि ईश्वर के बनाए गए नियमों से कोई नहीं बच सकता, यहाँ तक कि अवतार भी नहीं।

धैर्य और सही कर्म का महत्व

  • हमें अपने वर्तमान को सुधारने के लिए सही कर्म करने चाहिए।
  • भविष्य के बारे में चिंता करने के बजाय अपने वर्तमान कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना ही सच्चा धर्म है।

व्यावहारिक जीवन में भजन का उपयोग

आत्मचिंतन और सुधार:

  • यह भजन हमें अपने जीवन के कार्यों का आत्मनिरीक्षण करने और उनके परिणामों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है।

धैर्य और मानसिक शांति:

  • जब जीवन में कठिनाइयाँ आएँ, तो यह भजन हमें धैर्य और सहनशीलता बनाए रखने की शिक्षा देता है।

सच्चे कर्म का महत्व:

  • यह भजन सिखाता है कि जीवन में सफलता का मार्ग केवल सच्चे और धर्मानुकूल कर्म से ही प्राप्त किया जा सकता है।

समानता और समर्पण:

  • यह भजन जीवन में समानता और समर्पण की भावना विकसित करता है।

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