भजन

भजन: मेरे लक्ष्मण के, तू प्राणो को बचाने आजा – Bhajan: Mere Lakshman Ke Tu Prano Ko Bachane Aaja

धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now
मेरे लक्ष्मण के,
तू प्राणो को बचाने आजा,
लाके संजीवन,
वादा अपना निभाने आजा,
आजा आजा आजा आजा ॥
भाई लक्ष्मण के बिन,
अयोध्या कैसे जाऊंगा,
माँ सुमित्रा को,
मुख मैं कैसे तो दिखाऊंगा,
पूछेगी मुझसे लाल मेरा,
कहाँ छोड़ आए,
दिल के टुकड़े को,
कहाँ मेरे तुम तो तोड़ आए,
डूबती राम की नैया को,
बचाने आजा,
लाके संजीवन,
वादा अपना निभाने आजा,
आजा आजा आजा आजा ॥

सुबह से पहले,
मेरे बाला जो तू ना आए,
भाई लक्ष्मण के संग,
मुझको भी मारा पाए,
इक भरोसा है मेरा तुझपे,
ओ बजरंगबलि,
तेरे होते तो मेरे सिर से,
विपदा सारी टली,
लाज विश्वास की तू,
फिर से बचाने आजा,
लाके संजीवन,
वादा अपना निभाने आजा,
आजा आजा आजा आजा ॥

हे रवि देवा कल सुबह तुम,
उदय ना होना,
तुम जो आए तो पड़े मुझको,
उम्र भर रोना,
आज तक तुमने,
लाज मेरी तो बचाई है,
अब बारी क्यों,
देर तुमने तो लगाई है,
अपने भगवान,
अपयश से बचाने आजा,
लाके संजीवन,
वादा अपना निभाने आजा,
आजा आजा आजा आजा ॥

वादा अपना तो,
श्री हनुमतजी निभा आए,
बूटी वाला ही वो तो,
पर्वत ही उठा लाए,
राम ने तुमको,
अपने ह्रदय से लगाया है,
तुमको भाई के जैसा,
राम ने बताया है,
ऐसे ही भक्तो की डूबी,
नैया तिराने आजा,
लाके संजीवन,
वादा अपना निभाने आजा,
आजा आजा आजा आजा ॥

मेरे लक्ष्मण के,
तू प्राणो को बचाने आजा,
लाके संजीवन,
वादा अपना निभाने आजा,
आजा आजा आजा आजा ॥

भजन: मेरे लक्ष्मण के, तू प्राणो को बचाने आजा

यह भजन भगवान श्री राम के उस गहन प्रेम, चिंता और विश्वास को दर्शाता है जो उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण के प्रति दिखाया। साथ ही, यह भगवान हनुमान की अद्वितीय शक्ति, समर्पण और रक्षक स्वरूप को उजागर करता है। प्रत्येक पंक्ति एक भावनात्मक गहराई और आध्यात्मिक संदेश से भरी हुई है, जो हमें रिश्तों, कर्तव्य, और भक्ति का अर्थ समझने में मदद करती है। अब हम भजन की पंक्तियों को गहराई से समझते हैं।


पंक्ति: “मेरे लक्ष्मण के, तू प्राणो को बचाने आजा”

श्री राम अपने प्रिय भाई लक्ष्मण की जीवन रक्षा के लिए भगवान हनुमान से सीधे प्रार्थना करते हैं। यह पंक्ति राम के हृदय में लक्ष्मण के प्रति उनके प्रेम और चिंता को व्यक्त करती है। लक्ष्मण केवल एक भाई नहीं हैं, बल्कि वे राम के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। इस आह्वान में राम की वह असहायता दिखती है जो उन्हें लक्ष्मण की स्थिति के कारण महसूस हो रही है। यह भावना यह भी बताती है कि जब हमारे प्रियजन संकट में होते हैं, तो हम कितने विवश और असहज महसूस करते हैं।

हनुमान को संबोधित करते हुए राम उन्हें याद दिलाते हैं कि वे उनके सबसे भरोसेमंद सहायक हैं। “प्राणों को बचाने” का आग्रह केवल शारीरिक रक्षा तक सीमित नहीं है, यह लक्ष्मण के बिना राम की अधूरी जीवन यात्रा को भी इंगित करता है।


पंक्ति: “लाके संजीवन, वादा अपना निभाने आजा”

यहां राम हनुमान को उनकी प्रतिबद्धता और उनके द्वारा किए गए वादे की याद दिलाते हैं। यह पंक्ति भगवान हनुमान की निष्ठा और उनके दायित्वों की याद दिलाती है। “लाके संजीवन” का संदर्भ उस घटना से है जब लक्ष्मण गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और संजीवनी बूटी के बिना उनका जीवन असंभव हो जाता है।

संजीवनी केवल एक औषधि नहीं है; यह जीवन और आशा का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि जब सब कुछ असंभव लगता है, तब भी समर्पण और कर्म से जीवन में चमत्कार संभव हैं। हनुमान का यह वादा निभाना यह सिखाता है कि एक सच्चा भक्त और सेवक किसी भी परिस्थिति में अपने वचनों का पालन करता है, चाहे उसके लिए कितना भी कठिन प्रयास क्यों न करना पड़े।

यह भी जानें:  कहाँ रखोगे बाबा हारो की अंसुवन धार भजन लिरिक्स - Kahan Rakhoge Baba Haro Ki Ansuvan Dhar Bhajan Lyrics - Hinduism FAQ

पंक्ति: “भाई लक्ष्मण के बिन, अयोध्या कैसे जाऊंगा”

राम अपनी असहायता और दुविधा व्यक्त करते हैं कि यदि उनके प्रिय भाई लक्ष्मण उनके साथ नहीं रहे, तो वे अयोध्या वापस लौटने की कल्पना भी नहीं कर सकते। यह वाक्य राम के भीतर भाईचारे की महत्ता को उजागर करता है। अयोध्या, जो राम के लिए उनके राज्य और कर्तव्य का प्रतीक है, बिना लक्ष्मण के खोखला महसूस होता है। यह पंक्ति यह भी बताती है कि परिवार का महत्व हमारे जीवन में कितना बड़ा है।

राम के मन में यह सोच है कि वे सुमित्रा माता का सामना कैसे करेंगे। यह उनके भीतर की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को उजागर करता है। सुमित्रा को अपने बेटे की खबर देना, जो राम के साथ उनकी रक्षा और सेवा में जीवन दांव पर लगा चुका है, राम के लिए सबसे कठिन कार्य होगा। इस पंक्ति में राम की स्थिति एक ऐसे व्यक्ति की तरह है जो अपने प्रियजन की रक्षा करने में असफल महसूस कर रहा है, और यह भावना हर मनुष्य के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है।


पंक्ति: “पूछेगी मुझसे लाल मेरा, कहाँ छोड़ आए”

इस पंक्ति में राम अपनी कल्पना में सुमित्रा माता के प्रश्नों का सामना कर रहे हैं। यह पंक्ति उस दर्द को व्यक्त करती है, जब किसी प्रियजन को खोने का डर वास्तविकता के करीब होता है। “लाल मेरा” में सुमित्रा के मातृत्व की गहराई छिपी है। हर माता-पिता के लिए उनके बच्चे उनका सबसे बड़ा संपत्ति और प्रेम का प्रतीक होते हैं। राम के मन में यह सोच उन्हें और अधिक व्यथित कर देती है, क्योंकि वे जानते हैं कि सुमित्रा की पीड़ा को वे कभी भी कम नहीं कर सकते।

यहां राम के मन की आत्मग्लानि और गहरी करुणा प्रकट होती है। यह उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है जो न केवल राजा है, बल्कि एक ऐसा इंसान है जो अपने रिश्तों की गहराई और जिम्मेदारियों को समझता है।


पंक्ति: “डूबती राम की नैया को, बचाने आजा”

राम अपने आप को एक डूबती हुई नैया (नाव) के रूप में देखते हैं, जिसे बचाने के लिए केवल हनुमान का सहारा है। यह पंक्ति राम की परिस्थितियों की गहनता और संकट की गंभीरता को स्पष्ट करती है। यहां “नैया” जीवन का प्रतीक है, और “डूबती” स्थिति यह संकेत देती है कि उनके जीवन की दिशा उनके प्रियजनों और कर्तव्यों के बिना अधूरी और असफल है।

हनुमान के प्रति राम का यह विश्वास यह दर्शाता है कि वे केवल शारीरिक बल के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक और रक्षक भी हैं। यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि जब हमारी जिंदगी में संकट हो, तो हमें अपने विश्वास और अपने प्रयासों में दृढ़ रहना चाहिए।


पंक्ति: “सुबह से पहले, मेरे बाला जो तू ना आए”

इस पंक्ति में राम समय की गंभीरता को स्पष्ट करते हैं। “सुबह से पहले” का अर्थ केवल समय सीमा नहीं है; यह उस उम्मीद और आशा का प्रतीक है जो अभी बाकी है। राम की यह विनती दिखाती है कि जीवन की चुनौतियों में कभी-कभी हर क्षण कीमती होता है, और समय पर कार्य करना अत्यधिक आवश्यक हो जाता है।

“मेरे बाला” में राम का स्नेह हनुमान के प्रति झलकता है। यह संबोधन केवल एक आदेश नहीं है, यह स्नेह और विश्वास की एक भावना है। राम यह भी कहते हैं कि यदि हनुमान नहीं आते, तो उनका अपना जीवन भी व्यर्थ हो जाएगा। यह उनके आत्मीयता और अपने प्रियजनों के प्रति गहरी निष्ठा को व्यक्त करता है।


पंक्ति: “भाई लक्ष्मण के संग, मुझको भी मारा पाए”

इस पंक्ति में राम अपने भाई लक्ष्मण के प्रति अपने अटूट प्रेम और उनके बिना जीवन की असंभवता को व्यक्त करते हैं। “मुझको भी मारा पाए” यह बताता है कि राम के लिए लक्ष्मण केवल उनके साथ लड़ाई के साथी या सेवक नहीं हैं, बल्कि उनके जीवन की आत्मा हैं। यह भावना हमें रिश्तों के उस पहलू से परिचित कराती है, जिसमें किसी का जीवन किसी और के अस्तित्व से जुड़ा होता है।

यह पंक्ति मानव भावनाओं की उस गहराई को भी उजागर करती है, जिसमें हम अपने प्रियजनों के दर्द को अपने से अलग नहीं मान सकते। राम के शब्द यह संदेश देते हैं कि जीवन की कठिनाइयों में, आपसी सहयोग और संबंधों का महत्व सबसे अधिक होता है।


पंक्ति: “इक भरोसा है मेरा तुझपे, ओ बजरंगबलि”

राम भगवान हनुमान को उनके नाम “बजरंगबलि” से पुकारते हैं, जो उनके बल, शक्ति, और साहस का प्रतीक है। यह संबोधन न केवल हनुमान के प्रति गहरे विश्वास को प्रकट करता है, बल्कि उनके शक्तिशाली और अद्वितीय स्वरूप की भी पुष्टि करता है।

यह भी जानें:  भजन: ऐसो रास रच्यो वृन्दावन | Bhajan: Aiso Ras Racho Vrindavan Hai Rahi Payal Ki Jhankar - Bhajan: Aiso Ras Racho Vrindavan | Bhajan: Aiso Ras Racho Vrindavan Hai Rahi Payal Ki Jhankar - Hinduism FAQ

“इक भरोसा है मेरा तुझपे” राम के उस अटूट विश्वास को दर्शाता है, जो उन्होंने हनुमान पर रखा है। यह भाव हमें यह सिखाता है कि कठिन समय में, विश्वास एक ऐसी ताकत है, जो हर बाधा को पार करने में मदद करती है। यह भरोसा केवल भक्त और भगवान के बीच नहीं है, बल्कि एक गहरे व्यक्तिगत और आध्यात्मिक संबंध का संकेत है।


पंक्ति: “तेरे होते तो मेरे सिर से, विपदा सारी टली”

यह पंक्ति राम के आत्मविश्वास और हनुमान की शक्ति के प्रति उनके भरोसे को प्रकट करती है। “विपदा सारी टली” का अर्थ है कि राम को विश्वास है कि हनुमान के होते हुए कोई भी संकट उन्हें छू भी नहीं सकता।

हनुमान यहां केवल एक भक्त नहीं हैं, बल्कि एक संरक्षक और उद्धारकर्ता हैं। यह संदेश यह भी देता है कि जब जीवन में संकट हो, तो हमें अपने कर्तव्यों और ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए। यह पंक्ति उस गहरी राहत और आश्वासन को भी व्यक्त करती है, जो हमें तब मिलता है, जब हम किसी मजबूत सहायक या मार्गदर्शक के साथ होते हैं।


पंक्ति: “लाज विश्वास की तू, फिर से बचाने आजा”

यहां राम अपनी प्रतिष्ठा और विश्वास की रक्षा के लिए हनुमान से प्रार्थना करते हैं। “लाज” का अर्थ केवल व्यक्तिगत सम्मान तक सीमित नहीं है; यह उस विश्वास का प्रतीक है, जो एक भक्त भगवान पर और भगवान अपने भक्त पर रखते हैं।

राम यह दिखाते हैं कि जीवन में सम्मान और विश्वास सबसे मूल्यवान चीजें हैं, और इन्हें बनाए रखना हर किसी का कर्तव्य है। यह पंक्ति यह भी सिखाती है कि जब किसी ने आपकी सहायता पर भरोसा किया हो, तो उसे पूरा करना आपकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। हनुमान से यह अनुरोध इस बात का प्रतीक है कि वे इस भरोसे को कभी टूटने नहीं देंगे।


पंक्ति: “हे रवि देवा कल सुबह तुम, उदय ना होना”

राम सूर्यदेव से प्रार्थना करते हैं कि जब तक हनुमान लक्ष्मण को बचाकर न लौटें, तब तक वे उदय न हों। यह समय और प्रकृति को अपने पक्ष में करने की एक गहरी प्रार्थना है। यह पंक्ति यह सिखाती है कि जब परिस्थिति अत्यधिक गंभीर होती है, तो हर क्षण मायने रखता है, और इसे बचाने के लिए हम सभी प्रकार की प्रार्थना और प्रयास करते हैं।

“कल सुबह” का संदर्भ यह दिखाता है कि राम को समय की न केवल गणना बल्कि उसकी महत्ता का भी गहरा अहसास है। यह पंक्ति यह भी बताती है कि जब संकट का समाधान केवल विश्वास पर निर्भर हो, तो प्रार्थना में कितनी शक्ति होती है।


पंक्ति: “तुम जो आए तो पड़े मुझको, उम्र भर रोना”

राम इस पंक्ति में सूर्यदेव को यह स्पष्ट करते हैं कि यदि हनुमान समय पर वापस नहीं लौटे, तो उन्हें जीवनभर का दुःख सहना पड़ेगा। यह पंक्ति राम की उस व्याकुलता और असहायता को दर्शाती है, जो उनके प्रिय लक्ष्मण की स्थिति के कारण है।

यह संदेश यह भी देता है कि रिश्तों और जिम्मेदारियों में असफलता का दर्द कितना गहरा होता है। “उम्र भर रोना” केवल एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं है; यह उन संभावित परिणामों का संकेत है, जो संकट की स्थिति में हो सकते हैं।


पंक्ति: “आज तक तुमने, लाज मेरी तो बचाई है”

राम सूर्यदेव को यह याद दिलाते हैं कि वे हमेशा उनकी प्रतिष्ठा और विश्वास की रक्षा करते आए हैं। यह पंक्ति सूर्यदेव की निरंतरता और उनकी कृपा के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका को उजागर करती है।

यहां राम एक भक्त की तरह अपनी प्रार्थना करते हैं और उन्हें यह विश्वास है कि उनका भगवान और प्रकृति उनके साथ हैं। यह पंक्ति यह सिखाती है कि विश्वास का आधार केवल वर्तमान परिस्थितियों पर नहीं होना चाहिए, बल्कि अतीत में मिले आशीर्वादों पर भी आधारित होना चाहिए।


पंक्ति: “अब बारी क्यों, देर तुमने तो लगाई है”

राम यह सवाल करते हैं कि इस बार देरी क्यों हो रही है। यह सवाल न केवल सूर्यदेव से है, बल्कि यह एक साधारण मानव की भावना को भी दर्शाता है, जो संकट के समय हर पल का हिसाब रखता है।

यह पंक्ति यह सिखाती है कि कठिनाइयों के समय धैर्य रखना कितना कठिन होता है। राम का यह सवाल उनकी मानवीय भावनाओं को उजागर करता है, जो हर व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है।


पंक्ति: “वादा अपना तो, श्री हनुमतजी निभा आए”

यह पंक्ति भगवान हनुमान की निष्ठा, शक्ति, और वचनबद्धता की प्रशंसा करती है। यहां राम के भीतर एक संतोष और आभार का भाव झलकता है, क्योंकि हनुमान अपने वचन को निभाकर न केवल राम और लक्ष्मण को संकट से बाहर निकालते हैं, बल्कि अपनी भक्ति का सर्वोच्च उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं।

“वादा” केवल एक साधारण शब्द नहीं है; यह दर्शाता है कि वचन और जिम्मेदारी का पालन भक्त और भगवान दोनों के बीच के संबंधों का मूल आधार है। हनुमान अपने प्रयासों के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि सच्चा भक्त वह होता है, जो अपने आराध्य के विश्वास को कभी टूटने नहीं देता।

यह भी जानें:  ऐ नर ज़रा बता दे कौतुक ये क्या किया है - Ai Nar Zara Bata De Kautuk Ye Kya Kiya Hai - Hinduism FAQ

पंक्ति: “बूटी वाला ही वो तो, पर्वत ही उठा लाए”

यह पंक्ति हनुमान की अद्वितीय शक्ति और संकट समाधान के उनके समर्पण को उजागर करती है। जब हनुमान को संजीवनी बूटी की पहचान में कठिनाई होती है, तो वे पूरा पर्वत ही उठा लाते हैं। यह घटना यह सिखाती है कि जब कोई समस्या असंभव प्रतीत हो, तो हमें अपने प्रयासों और संसाधनों का विस्तार करना चाहिए, और समाधान के लिए अपनी सारी शक्ति लगा देनी चाहिए।

यह पंक्ति यह भी दर्शाती है कि सीमाओं और बाधाओं को पार करने का साहस और आत्मविश्वास सच्चे कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति की पहचान है। हनुमान के इस कार्य में उनकी बुद्धिमत्ता और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता भी झलकती है, जो किसी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में अत्यधिक आवश्यक होती है।


पंक्ति: “राम ने तुमको, अपने ह्रदय से लगाया है”

राम अपने गहरे प्रेम और कृतज्ञता का प्रदर्शन करते हैं। यह पंक्ति यह दर्शाती है कि जब कोई भक्त अपने भगवान के प्रति अटूट निष्ठा दिखाता है, तो भगवान स्वयं उसे अपने ह्रदय में स्थान देते हैं।

राम का हनुमान को ह्रदय से लगाना केवल भक्ति का सम्मान नहीं है; यह भगवान और भक्त के बीच उस गहरे संबंध को भी प्रकट करता है, जिसमें समर्पण और विश्वास का आदान-प्रदान होता है। यह घटना यह भी सिखाती है कि हर कार्य जो सच्चे मन से किया गया हो, वह न केवल मान्यता पाता है बल्कि उसका दिव्य प्रतिफल भी मिलता है।


पंक्ति: “तुमको भाई के जैसा, राम ने बताया है”

हनुमान को राम अपने भाई के समान मानते हैं। यह पंक्ति यह सिखाती है कि रिश्ते केवल खून के आधार पर नहीं बनते, बल्कि समर्पण, प्रेम, और निष्ठा से भी रिश्ते बनाए जा सकते हैं।

राम का यह कथन हनुमान के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करता है। यह पंक्ति हमें यह भी सिखाती है कि ईश्वर और उनके भक्त के बीच का संबंध केवल पूजा तक सीमित नहीं है; यह एक पारिवारिक और भावनात्मक जुड़ाव में बदल सकता है, जो प्रेम और सम्मान पर आधारित है।


पंक्ति: “ऐसे ही भक्तो की डूबी, नैया तिराने आजा”

यह पंक्ति उन भक्तों की बात करती है, जो भगवान हनुमान पर अपना संपूर्ण विश्वास रखते हैं। “डूबी नैया” का अर्थ जीवन की उन परिस्थितियों से है, जहां व्यक्ति को अपनी समस्या का कोई समाधान नजर नहीं आता। हनुमान को संकटों से उबारने वाले देवता के रूप में चित्रित किया गया है।

यह पंक्ति यह सिखाती है कि जब हम पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान से सहायता मांगते हैं, तो वे हमेशा हमारे जीवन को सही दिशा देने के लिए आते हैं। यह भगवान हनुमान की भक्तों के प्रति करुणा और उनके उद्धारक स्वरूप को उजागर करती है।


पंक्ति: “मेरे लक्ष्मण के, तू प्राणो को बचाने आजा” (पुनरावृत्ति)

भजन के अंत में इस पंक्ति की पुनरावृत्ति राम के विश्वास और हनुमान के प्रति उनके आभार का प्रतीक है। यह बार-बार दोहराई जाने वाली प्रार्थना इस बात का संकेत है कि जब तक किसी समस्या का समाधान न हो जाए, तब तक हमें अपनी आस्था और प्रयास बनाए रखना चाहिए।

राम का यह आह्वान न केवल हनुमान के लिए है, बल्कि यह हर व्यक्ति को यह सिखाता है कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। संकट चाहे जितना भी बड़ा हो, समर्पण और विश्वास के माध्यम से उसे पार किया जा सकता है।


भजन का सार और संदेश

यह भजन केवल राम और हनुमान के बीच के संबंधों का चित्रण नहीं करता; यह एक गहरा आध्यात्मिक संदेश भी देता है। इसमें हर व्यक्ति के लिए निम्नलिखित शिक्षाएं छिपी हैं:

  1. प्रेम और परिवार: यह भजन राम और लक्ष्मण के अटूट भाईचारे और परिवार की महत्ता को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि रिश्ते हमारे जीवन का आधार हैं।
  2. विश्वास और भक्ति: राम का हनुमान पर विश्वास यह दिखाता है कि जीवन की हर समस्या का समाधान विश्वास और भक्ति में छिपा है।
  3. कर्तव्य और निष्ठा: हनुमान का लक्ष्मण को बचाने का प्रयास यह सिखाता है कि जब हमें किसी कार्य की जिम्मेदारी दी जाए, तो उसे अपनी पूरी क्षमता से निभाना चाहिए।
  4. संकट में धैर्य: राम की प्रार्थना और उनका धैर्य यह सिखाता है कि कठिन समय में भी हमें अपनी आस्था नहीं खोनी चाहिए।

यह भजन हमें प्रेम, समर्पण, और विश्वास की ताकत का महत्व समझाता है। यह एक ऐसे जीवन का मार्गदर्शन है, जिसमें संकटों का सामना करते हुए भी हम अपने रिश्तों और अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान बने रहें।

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

You may also like