धरुँ मैं थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
म्हारै मन री बात,
हो असहाय में थानै पुकारा,
सर पे धरो थे म्हारे हाथ,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
घट घट की यो जाणे सारी,
लाल लंगोटे वालो,
भगतां का थे कष्ट मिटाया,
म्हारा भी संकट थे ही टालो,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
रामचन्द्र जी का काज संवारिया,
पवनपुत्र बलवान,
म्हारा भी थे काज संवारो,
सालासर वाला हनुमान,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
भक्त शिरोमणि रामदुत ने,
सिमरु बारम्बार,
‘केशव’ थारें चरण पड़यो है,
सांचो है थारो दरबार,
धरुँ में थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान,
धरुँ मैं थारो ध्यान,
बेगा सा आओ बालाजी,
बेगा सा आओ बालाजी,
भगतां की सुणज्यो बालाजी ॥
भजन: म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान
भजन का गहन परिचय
भक्ति गीत “म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान” सालासर बालाजी के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करता है। यह भजन हनुमानजी के भक्तों के संकट हरने वाले स्वरूप को उजागर करता है और भक्त-भगवान के बीच प्रेम, समर्पण और सुरक्षा की भावना को दर्शाता है। हर पंक्ति में भक्त की गहरी भावना, उसकी असहायता और भगवान से कृपा प्राप्ति की तड़प स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान, धरुँ मैं थारो ध्यान
इस पंक्ति में भक्त भगवान हनुमानजी से विनम्र प्रार्थना करता है कि वे उसकी विनती सुनें। “धरुँ मैं थारो ध्यान” का अर्थ केवल मानसिक स्मरण या पूजा नहीं है; यह समर्पण का प्रतीक है। ध्यान लगाने का अर्थ है कि भक्त अपने मन, वचन और कर्म से केवल भगवान हनुमानजी को स्मरण कर रहा है। यह पंक्ति यह भी बताती है कि भक्त के पास कोई अन्य सहारा नहीं है।
गहराई से समझें:
यहाँ ध्यान केवल भक्ति का तरीका नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। भक्त कहता है कि जब मैं आपको याद करता हूँ, तो मेरा हर कष्ट दूर हो जाता है। ध्यान में व्यक्ति अपने अहंकार और दुख को भूलकर ईश्वर से जुड़ता है।
बेगा सा आओ बालाजी, भगतां की सुणज्यो बालाजी
भक्त यहाँ तात्कालिकता के साथ भगवान को बुला रहा है। “बेगा सा आओ” में भगवान से अनुरोध है कि वे जल्दी आएँ, क्योंकि भक्त संकट में है। बालाजी को भक्तों के कष्ट हरने वाले देवता माना गया है, और इस पंक्ति में यह गहरी श्रद्धा व्यक्त होती है।
गहराई से समझें:
भक्त हनुमानजी के संकटमोचन स्वरूप को याद करता है। “बेगा सा आओ” से भक्त यह संदेश देता है कि भगवान की कृपा समय पर होनी चाहिए, क्योंकि भक्त का जीवन बिना भगवान के मार्गदर्शन के अधूरा है। यह पंक्ति मानव जीवन की उस गहरी भावना को दर्शाती है, जहाँ एक असहाय आत्मा ईश्वर को अपनी अंतिम आशा मानती है।
थे ना सुणस्योतो कुण सुणसी, म्हारै मन री बात
यह पंक्ति भगवान के प्रति भक्त के आत्मसमर्पण और पूर्ण विश्वास को प्रकट करती है। भक्त कहता है कि अगर आप मेरी पुकार नहीं सुनेंगे, तो और कौन सुनेगा? यह विश्वास इस बात का प्रतीक है कि भगवान ही अंतिम सहारा हैं।
गहराई से समझें:
यहाँ “मन री बात” केवल शब्दों तक सीमित नहीं है। यह भक्त के दिल की गहराई में छुपे दर्द, उसकी उम्मीद और उसकी इच्छाओं को दर्शाता है। यह पंक्ति बताती है कि भगवान से जुड़ने का सबसे सीधा तरीका है मन की सच्चाई से प्रार्थना करना।
हो असहाय में थानै पुकारा, सर पे धरो थे म्हारे हाथ
इस पंक्ति में भक्त अपनी असहायता व्यक्त करता है। “सर पे धरो थे म्हारे हाथ” का अर्थ है भगवान से सुरक्षा, आशीर्वाद और मार्गदर्शन की कामना। यह केवल एक प्रतीकात्मक अनुरोध नहीं है; यह भक्त की गहरी भावनाओं और विश्वास को व्यक्त करता है कि भगवान के स्पर्श से जीवन बदल सकता है।
गहराई से समझें:
असहायता केवल भौतिक संकट नहीं है। यह मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक स्थिति भी हो सकती है। जब भक्त कहता है “सर पे धरो थे म्हारे हाथ,” वह भगवान से संपूर्ण समर्थन और मार्गदर्शन की उम्मीद करता है। यह पंक्ति यह सिखाती है कि मानव को भगवान के साथ अपने रिश्ते में पूरी ईमानदारी और नम्रता रखनी चाहिए।
घट घट की यो जाणे सारी, लाल लंगोटे वालो
यह पंक्ति हनुमानजी के सर्वज्ञ (सभी कुछ जानने वाले) स्वरूप को दर्शाती है। “घट घट की यो जाणे सारी” का अर्थ है कि भगवान हर व्यक्ति के दिल की गहराई और उसकी सच्चाई को जानते हैं। “लाल लंगोटे वालो” हनुमानजी के तपस्वी और बलशाली स्वरूप को इंगित करता है।
गहराई से समझें:
यहाँ भक्त यह संदेश देता है कि भगवान को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है; वे पहले से ही सब जानते हैं। “लाल लंगोटे वालो” का वर्णन हनुमानजी के त्याग, बल और उनकी वैराग्य प्रवृत्ति को सामने लाता है। भक्त यह मानता है कि भगवान हनुमानजी का बल और उनकी कृपा ही उसे कठिनाइयों से उबार सकते हैं।
भगतां का थे कष्ट मिटाया, म्हारा भी संकट थे ही टालो
हनुमानजी को “कष्ट निवारक” कहा गया है। यह पंक्ति उनके भक्तों की सहायता करने वाले गुण को उजागर करती है। भक्त यहाँ प्रार्थना करता है कि जैसे उन्होंने अन्य भक्तों के कष्ट दूर किए हैं, वैसे ही उसके भी संकट दूर करें।
गहराई से समझें:
यहाँ भक्त भगवान के इतिहास और उनकी कृपा का स्मरण करता है। यह पंक्ति यह बताती है कि भक्त अपने विश्वास को केवल वर्तमान पर नहीं, बल्कि भगवान के पिछले कार्यों और उनकी दयालुता पर भी आधारित करता है।
रामचन्द्र जी का काज संवारिया, पवनपुत्र बलवान
इस पंक्ति में भगवान हनुमानजी के जीवन का सबसे बड़ा कार्य वर्णित है – श्रीराम का कार्य सिद्ध करना। “रामचन्द्र जी का काज संवारिया” से यह स्पष्ट होता है कि हनुमानजी ने न केवल श्रीराम की सेवा की बल्कि अपने अद्वितीय बल, भक्ति और बुद्धिमत्ता से उनके कार्य को सफल बनाया। “पवनपुत्र बलवान” हनुमानजी के बल और शक्ति का वर्णन है, जो उन्हें अन्य देवताओं से अलग करता है।
गहराई से समझें:
हनुमानजी केवल भगवान राम के दूत या सेवक नहीं थे; वे उनकी आत्मा का प्रतिबिंब थे। उनकी शक्ति (बल) केवल शारीरिक नहीं थी, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक भी थी। भक्त इस पंक्ति के माध्यम से हनुमानजी के गुणों को याद करता है और उनसे अपने जीवन के कार्यों को भी संवारने की प्रार्थना करता है।
म्हारा भी थे काज संवारो, सालासर वाला हनुमान
इस पंक्ति में भक्त अपने व्यक्तिगत जीवन के संकटों को लेकर हनुमानजी से सहायता माँगता है। सालासर बालाजी हनुमानजी का एक प्रसिद्ध स्वरूप है, जहाँ लाखों भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। भक्त यह मानता है कि जैसे भगवान राम का कार्य सिद्ध हुआ, वैसे ही उसकी समस्याओं का समाधान भी हनुमानजी करेंगे।
गहराई से समझें:
यह पंक्ति यह सिखाती है कि जीवन में कोई भी कार्य भगवान की कृपा के बिना पूरा नहीं होता। भक्त का यह विश्वास कि हनुमानजी उसके “काज संवारेंगे,” यह दर्शाता है कि वह भगवान को अपने जीवन का मार्गदर्शक और संकटों का निवारणकर्ता मानता है।
भक्त शिरोमणि रामदूत ने, सिमरु बारम्बार
हनुमानजी को “भक्त शिरोमणि” कहा गया है, क्योंकि उन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। “रामदूत” का अर्थ है भगवान राम का दूत, जो उनके सेवक और उनके संदेशवाहक हैं। भक्त इस पंक्ति में बार-बार हनुमानजी का स्मरण करता है, क्योंकि उनका स्मरण ही संकटों से मुक्ति का माध्यम है।
गहराई से समझें:
यह पंक्ति भक्ति के महत्व को उजागर करती है। भक्त को बार-बार ईश्वर का स्मरण करना चाहिए, क्योंकि यह स्मरण ही उसे सही दिशा में ले जाता है। “भक्त शिरोमणि” केवल एक उपाधि नहीं है; यह हनुमानजी की निःस्वार्थ सेवा और भक्ति का सम्मान है।
‘केशव’ थारें चरण पड़यो है, सांचो है थारो दरबार
भजन के रचयिता ‘केशव’ अपने आपको हनुमानजी के चरणों में समर्पित करते हैं। “सांचो है थारो दरबार” से यह समझ में आता है कि भगवान का दरबार सच्चाई और न्याय का प्रतीक है। यह वह स्थान है जहाँ भक्त अपनी समस्याएँ लेकर आते हैं और समाधान पाते हैं।
गहराई से समझें:
चरणों में गिरने का अर्थ है पूर्ण आत्मसमर्पण। यह समर्पण भक्त को उसके अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है। “सांचो दरबार” बताता है कि भगवान का दरबार केवल उन लोगों के लिए है जो सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं।
म्हारी बिनती सुणो थे हनुमान, धरुँ मैं थारो ध्यान
भजन की अंतिम पंक्तियाँ पुनः शुरू की गई पंक्तियों का ही दोहराव हैं, लेकिन यहाँ वे गहरे भाव और विश्वास के साथ समाप्त होती हैं। भक्त अपनी प्रार्थना को बार-बार दोहराता है, यह दर्शाने के लिए कि उसकी विनती कितनी सच्ची और गहरी है।
गहराई से समझें:
यह दोहराव भक्त के अटूट विश्वास और उसकी तड़प को दर्शाता है। यह बताता है कि जब तक भगवान उनकी सुन न लें, वह प्रार्थना करते रहेंगे। ध्यान, भक्ति और विनम्रता के माध्यम से ही भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
भजन का समग्र भाव
यह भजन न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि हनुमानजी के गुणों का महिमा मंडन भी है। यह हमें सिखाता है कि भक्ति में श्रद्धा, विश्वास और समर्पण का होना अनिवार्य है। भक्त अपने कष्टों के समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना करता है, लेकिन साथ ही वह भगवान की महानता को भी याद करता है।
जीवन में सीख:
- भक्ति में विश्वास: जब तक हम अपने इष्टदेव पर पूर्ण विश्वास नहीं करेंगे, तब तक हमारी प्रार्थनाएँ सच्ची नहीं होंगी।
- सच्चाई का महत्व: भगवान का दरबार हमेशा सच्चे भक्तों के लिए खुला है।
- समर्पण: जीवन के हर संकट का समाधान भगवान के प्रति समर्पण में है।
- आत्मनिर्भरता और प्रार्थना का संतुलन: भजन सिखाता है कि प्रार्थना के साथ-साथ हमें अपने कर्म भी करने चाहिए।
यह भजन भावनाओं, भक्ति और आत्मसमर्पण का अद्वितीय उदाहरण है। इसमें हर पंक्ति जीवन के किसी न किसी पहलू से जुड़ती है और हमें यह सिखाती है कि कैसे भगवान की कृपा से हमारा जीवन संतुलित और सुखद हो सकता है।
