- – जीवन अस्थायी है, और एक दिन मृत्यु अवश्य आएगी, इसलिए जीवन को श्याम (भगवान) के नाम समर्पित करना चाहिए।
- – भजनों और भक्ति के माध्यम से आत्मा की शांति और जीवन की सार्थकता प्राप्त होती है।
- – सांसों की सरगम और भजनों की धुन हमेशा श्याम की महिमा गाती रहे, चाहे हम इस दुनिया में रहें या न रहें।
- – जीवन की यादें और भक्ति का सफर सदैव चलता रहे, क्योंकि यही हमारे अस्तित्व की सच्ची धरोहर है।
- – कवि ने जीवन की नश्वरता और भक्ति के महत्व को भावपूर्ण शब्दों में व्यक्त किया है।

मेरे सांसो की सरगम ये कहे,
मेरे भजनों की धुन भी ये कहे,
भजन श्याम के गा ले रे बन्दे,
कल रहे ना रहे।।
कौन जाने किस गली में,
जिंदगी की शाम हो,
जिंदगी की शाम हो,
उसके पहले ये जिंदगी,
श्याम के ही नाम हो,
श्याम के ही नाम हो,
किसने दी है दिल को पीड़ा,
याद रहे ना रहे,
मेरे साँसो की सरगम ये कहे,
मेरे भजनों की धुन भी ये कहे।।
फूलों सी ये जिंदगी तो,
एक दिन मुरझायेगी,
एक दिन मुरझायेगी,
हम रहे या ना रहे,
ये यादे ही रह जाएगी,
यादे ही रह जाएगी,
चलता रहे भजनों का सफर ये,
जाँ रहे न रहे,
मेरे साँसो की सरगम ये कहे,
मेरे भजनों की धुन भी ये कहे।।
है हकीकत मौत अपनी,
एक दिन तो आएगी,
एक दिन तो आएगी,
पल दो पल की जिंदगी फिर,
खाक में मिल जाएगी,
खाक में मिल जाएगी,
चलता रहे भजनो का सफर ये,
हम रहे ना रहे,
मेरे साँसो की सरगम ये कहे,
मेरे भजनों की धुन भी ये कहे।।
मेरे सांसो की सरगम ये कहे,
मेरे भजनों की धुन भी ये कहे,
भजन श्याम के गा ले रे बन्दे,
कल रहे ना रहे।।
लेखक – स्व. श्री रमेश जी वर्मा “विमलेश”
कवि व गीतकार, रतलाम म. प्र.
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