- – यह भक्ति गीत माँ अम्बे (जगदम्बे) की आराधना और उनके प्रति भक्तों की प्रार्थना को दर्शाता है।
- – गीत में भक्त माँ से ममता, शरण और करुणा की गुहार लगाते हैं, अपने दुःखों और तड़प को व्यक्त करते हैं।
- – माँ अम्बे को निर्धनों और सभी के द्वार आने के लिए पुकारा गया है, ताकि वे सभी पर अपनी कृपा बरसाएं।
- – गीत में माँ के चरणों की महिमा और उनके दर्शन की प्यास को उजागर किया गया है।
- – यह गीत श्रद्धा और भक्ति की भावना से ओतप्रोत है, जिसमें माँ से एक बार आकर भक्तों को सुख और शांति देने की विनती की गई है।
भक्तो ने पुकारा हैं,
एक बार चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ,
जगदम्बे चली आओ,
माँ अम्बे चली आओ,
जगदम्बे चली आओ,
निर्धन के घर भी माँ,
एक बार चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ,
माँ अम्बे चली आओ।।
ममता की छाओ तले,
कब मुझको शरण दोगी,
रो रो के मनाऊंगी,
कब तक यु रूठोगी,
अपने बच्चो को माँ,
इतना भी ना तरसाओ,
माँ अम्बे चली आओ,
जगदम्बे चली आओ।।
हर ईंट मेरे घर की,
माँ तुझ को पुकारेगी,
देहलीज़ तेरे चरणों,
की राह निहारेगी,
मेरे घर का भी माँ,
आ भाग जगा जाओ,
एक बार चली आओ,
जगदम्बे चली आओ।।
मैंने ये सुना है माँ,
ममता की मूरत है,
आज तेरी ममता की,
माँ मुझको जरूरत है,
मैं तड़प रही पल पल,
इतना भी ना तड़पाओ,
एक बार चली आओ,
जगदम्बे चली आओ।।
तेरे ही सहारे हूँ,
मैं और कहाँ जाऊ,
दर्शन के प्यासे दिल,
को कैसे समझाऊ,
मुझ पे मेहरा वाली,
माँ मेहर तो बरसाओ,
एक बार चली आओ,
जगदम्बे चली आओ,
निर्धन के घर भी माँ,
एक बार चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ,
माँ अम्बे चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ,
जगदम्बे चली आवो।।
भक्तो ने पुकारा हैं,
एक बार चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ,
जगदम्बे चली आओ,
माँ अम्बे चली आओ,
जगदम्बे चली आओ,
निर्धन के घर भी माँ,
एक बार चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ,
माँ अम्बे चली आओ।।
Singer : Anuradha Paudwal
https://youtu.be/ug4ykqNJlEQ