- – यह गीत भेरूजी और खेतलाजी के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है, जो सोनाला नगरी में पूजे जाते हैं।
- – गीत में मंदिर के महत्व और वहां होने वाली जातर (धार्मिक मेले) का उल्लेख है, जहां भक्त बड़ी संख्या में आते हैं।
- – सुख-दुख में भेरूजी और खेतलाजी के चरणों में आकर शरण लेने की भावना व्यक्त की गई है।
- – ढोल की थाप पर नृत्य और उत्सव का वर्णन है, जो भक्ति और आनंद का प्रतीक है।
- – कोसेलाव नगरी से दर्शन करने आने वाले भक्तों का उल्लेख है, जो भक्ति के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है।
- – गीत के माध्यम से भक्ति संगीत की सांस्कृतिक महत्ता और स्थानीय धार्मिक परंपराओं का परिचय मिलता है।

भले भेरूजी सोनाला नगरी में,
अरे भले खेतलाजी सोनाला नगरी में,
ओ थोरो मंदिर बनीयो जोर रो रे जियो।।
अरे भले भेरूजी दूरा ने दूरा रे,
भले खेतलाजी दूरा ने दूरो रा,
घना आवे थोरे जातरू रे जी हा,
अरे भले भेरूजी दूरा ने दूरा रा,
आवे थोरे जातरू रे जी हा।।
ओ अरे भले भेरूजी,
सुखीया ने दुखीया तो,
अरे भले खेतलाजी सुखीया दुखीया,
चरना मे थोरे आविया रे जी हा,
अरे भले भेरूजी सुखीया ने दुखीया,
तो चरने थोरे आविया रे जी हा।।
ओ अरे भले भेरूजी,
ढोला रे डमाके,
भले भेरूजी ढोला रे डमाके,
ओ थेतो रमता रमता आवजो ओ जियो,
अरे भले भेरूजी ढोला रे डमाके,
थेतो रमता रमता आवजो ओ जियो।।
अरे भले भेरूजी कोसेलाव नगरी ती,
ओ भले खेतलाजी कोसेलाव नगरी ती,
दर्शन थोरे आविया रे जी हा,
अरे भले भेरूजी कोसेलाव नगरी सु,
ओ भले खेतलाजी कोसेलाव नगरी ती,
दर्शन थोरे आविया रे जी हा।।
ओ अरे भले भेरूजी भोपोजी चेलोजी ओ,
भले खेतलाजी भोपोजी चेलोजी,
वेतो माला थोरी फेरता हो जी,
अरे भले भेरूजी चेलोजी भोपोजी,
वेतो चरने थोरे आविया हो जी।।
भले भेरूजी सोनाला नगरी में,
अरे भले खेतलाजी सोनाला नगरी में,
ओ थोरो मंदिर बनीयो जोर रो रे जियो।।
गायक – संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
