- – यह भजन शिरडी वाले बाबा की महिमा का वर्णन करता है, जो कलियुग में भव सागर (जीवन के दुखों और मोह-माया के समुद्र) से मुक्ति का किनारा हैं।
- – भजन में बाबा से जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण करने की प्रार्थना की गई है, उन्हें जीवनदाता और भाग्य विधाता बताया गया है।
- – जो भक्त बाबा का नाम निरंतर जपते हैं और उनके चरणों में समर्पित होते हैं, वे बड़े भाग्यशाली माने जाते हैं।
- – बाबा को विष को अमृत में बदलने वाला और भक्तों के उद्धारकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- – भजन में भक्तों की भक्ति और बाबा के प्रति श्रद्धा को प्रेरित किया गया है, जिससे जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
भव सागर का किनारा है,
कलियुग में तेरा द्वारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
तर्ज – बना के क्यो बिगाड़ा रे।
हो तुझको मँजूर तो बाबा,
भव सागर को सोख ले,
जो तू चाहे ऐ मेरे बाबा,
मृत्यू को भी रोक दे,
जीवन दाता भाग्य विधाता,
हे बाबा नाम तुम्हारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
जो तेरा नित नाम ध्यावे,
बड़ भागी कहलाता है,
हो जो समर्पित तेरे चरण़ो मे,
वो तुझको अति भाता है,
मुझको भी बाबा दास बनालो,
कर भी दो प्रभू इशारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
ऐसी बूटी लाए जहाँ में,
जो खाए तर जाता है,
बिष को भी अमृत,
तुमने किया है,
सारा जग यह गाता है,
भक्तो की खातिर,
आए है बाबा,
बनकर के तारन हारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
भव सागर का किनारा है,
कलियुग में तेरा द्वारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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