धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें
Join Now
- – यह गीत भगवान शिव की महिमा और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है, जिन्हें त्रिलोक के नाथ और तीन लोकों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है।
- – भगवान शिव को भोला, आदि देव और कैलाश धाम के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है, जिनका नाम जगत में महान है।
- – भांग और धतूरा उनके भोग के रूप में चढ़ाने की परंपरा का उल्लेख है, जो उनकी पूजा का हिस्सा है।
- – भक्त अशोक अपनी अरजियों और प्रार्थनाओं के माध्यम से भगवान से संसार के सभी कार्यों में सहायता और संरक्षण की मांग करता है।
- – बार-बार भगवान शिव के दर्शन और वंदन करने का आग्रह किया गया है, जो भक्तों के लिए आश्रय और भरोसे का स्रोत हैं।
- – गीत में भगवान शिव से भव सागर (जन्म-मरण के समुद्र) से पार पाने की प्रार्थना की गई है, जो उनकी शरण में जाने का प्रतीक है।

भव सागर सू पार उतारो,
तीन लोक रा नाथ,
आसरो थारो है,
भरोसो थारो है।।
आदि देव भोला थाने मनावा,
कैलाश मै धाम आपरो,
मोटो जग मे नाम,
आसरो थारो है,
भरोसो थारो है।।
आप त्रिलोकी वाला नाथ कहावो,
सिवरे सब संसार आपने,
पूजे नर और नार,
आसरो थारो है,
भरोसो थारो है।।
भांग धतूरा थारे भोग चढावा,
दर्शन दो इक बार,
आपने वंदन बारंबार,
आसरो थारो है,
भरोसो थारो है।।
दास अशोक भोला अरजी सूनावे,
सारो सबरा काज जगत में,
म्हारी राखो लाज,
आसरो थारो है,
भरोसो थारो है।।
भव सागर सू पार उतारो,
तीन लोक रा नाथ,
आसरो थारो है,
भरोसो थारो है।।
गायक -प्रवीण व्यास लकडवास।
फ़ोन – 8890970310
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
