- – गीत में भक्त अपनी माता ज्योतावालिये और शेरावालिये से गहरा लगाव और भक्ति व्यक्त करता है।
- – भक्त माता के दरबार में जाने का बुलावा पाकर उनके दर्शन के लिए उत्सुक है और कभी वापस नहीं जाने का संकल्प लेता है।
- – माता के प्रति भक्त की श्रद्धा इतनी गहरी है कि वह अपने सारे संसारिक संबंध तोड़कर केवल माता के साथ जुड़ना चाहता है।
- – माता की महिमा फूलों की खुशबू, चाँद की चांदनी, सूरज की रौशनी और नैनों की ज्योति के रूप में वर्णित की गई है।
- – यह गीत माता के प्रति पूर्ण समर्पण, भक्ति और उनकी दिव्यता का सुंदर चित्रण प्रस्तुत करता है।

भेजा है बुलावा तूने शेरावालिये,
ओ मईया तेरे दरबार में हां,
तेरे दीदार को मैं आऊंगा,
कभी ना फिर जाऊँगा,
भेजा है बुलावा तूने शेरावालिये।।
शेरावालिये नी माता ज्योतावालिये,
नी सच्चियाँ ज्योतावालिये, लाटावालिये।।
तेरे ही दर के है हम तो भिखारी,
जाएं कहा ये दर छोड़ के, हां छोड़ के,
तेरे ही संग बाँधी भक्तो ने डोरी,
सारे जहां से नाता तोड़ के, हां तोड़ के।।
शेरावालिये नी माता ज्योतावालिये,
नी सच्चियाँ ज्योतावालिये, लाटावालिये।।
भेजा हैं बुलावा तूने शेरावालिये,
ओ मईया तेरे दरबार,
में हां तेरे दीदार को मैं आऊंगा,
कभी ना फिर जाऊँगा,
भेजा हैं बुलावा तूने शेरावालिये।।
फूलों में तेरी ही खुशबु है मईया,
चंदा में तेरी ही चांदनी, हां चांदनी,
तेरे ही नूर से है नैनो की ज्योतिया,
सूरज में तेरी ही रौशनी, हां रौशनी।।
शेरावालिये नी माता ज्योतावालिये,
नी सच्चियाँ ज्योतावालिये, लाटावालिये।।
भेजा हैं बुलावा तूने शेरावालिये,
ओ मईया तेरे दरबार,
में हां तेरे दीदार को मैं आऊंगा,
कभी ना फिर जाऊँगा,
भेजा है बुलावा तूने शेरावालिये।।
