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आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन in Hindi/Sanskrit

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…
दुर्योधन को मेवा त्यागो,
साग विदुर घर खायो प्यारे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

भिलनी के बैर सुदामा के तंडुल
रूचि रूचि भोग लगाओ प्यारे मोहन…
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

वृदावन की कुञ्ज गली मे,
आओं रास रचाओ मेरे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

राधा और मीरा भी बोले,
मन मंदिर में आओ मेरे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

गिरी, छुआरा, किशमिश मेवा,
माखन मिश्री खाओ मेरे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

सत युग त्रेता दवापर कलयुग,
हर युग दरस दिखाओ मेरे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

जो कोई तुम्हारा भोग लगावे
सुख संपति घर आवे प्यारे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

ऐसा भोग लगाओ प्यारे मोहन
सब अमृत हो जाये प्यारे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

जो कोई ऐसा भोग को खावे
सो त्यारा हो जाये प्यारे मोहन,
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

Aao Bhog Lagao Mere Mohan in English

Aao bhog lagao pyaare Mohan…
Duryodhan ko mewa tyago,
Saag Vidur ghar khayo pyaare Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Bhilan ke bair Sudama ke tandul
Ruchi ruchi bhog lagao pyaare Mohan…
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Vrindavan ki kunj gali mein,
Aao raas rachao mere Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Radha aur Meera bhi bole,
Man mandir mein aao mere Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Giri, chhuara, kishmish mewa,
Makhan mishri khao mere Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Sat Yug Treta Dwapar Kalyug,
Har yug daras dikhayo mere Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Jo koi tumhara bhog lagave
Sukh sampati ghar aave pyaare Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Aisa bhog lagao pyaare Mohan
Sab amrit ho jaye pyaare Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Jo koi aisa bhog ko khave
So tyara ho jaye pyaare Mohan,
Aao bhog lagao pyaare Mohan…

Aao bhog lagao pyaare Mohan…

भोग आरती PDF Download

भोग आरती का अर्थ और भावार्थ

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

इस आरती का मुख्य भाव भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का है, जिसमें भक्त उन्हें प्रेमपूर्वक भोग लगाने का निमंत्रण दे रहा है। इस पंक्ति में “प्यारे मोहन” का संबोधन भगवान श्रीकृष्ण के प्रति है, जिन्हें प्रेमपूर्वक भोजन अर्पित करने की अभिलाषा व्यक्त की गई है।

दुर्योधन को मेवा त्यागो, साग विदुर घर खायो प्यारे मोहन…

यह पंक्ति महाभारत के उस प्रसंग की याद दिलाती है जब श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के घर का रसमय भोज छोड़कर विदुर के घर का साधारण साग स्वीकार किया था। इसमें यह संदेश है कि भगवान प्रेम और भक्ति को महत्व देते हैं, न कि धनी भोजन को।

भिलनी के बैर सुदामा के तंडुल, रूचि रूचि भोग लगाओ प्यारे मोहन…

इस पंक्ति में श्रीकृष्ण की महानता का वर्णन है, जो उन्होंने भिलनी के झूठे बेर और सुदामा के चावलों को प्रेमपूर्वक ग्रहण किया था। यह उनके सच्चे भक्तों के प्रति प्रेम को दर्शाता है और यह बताता है कि भगवान को भक्ति प्रिय होती है, न कि पदार्थ।

वृदावन की कुञ्ज गली में, आओं रास रचाओ मेरे मोहन…

इस पंक्ति में भक्त भगवान श्रीकृष्ण को वृंदावन की कुंज गलियों में आने का निमंत्रण दे रहा है। यहां रासलीला का उल्लेख है, जो श्रीकृष्ण का अनोखा प्रेम नृत्य है।

राधा और मीरा भी बोले, मन मंदिर में आओ मेरे मोहन…

इस पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमपूर्ण उपासना करने वाली राधा और मीरा का जिक्र है। दोनों ने अपने जीवन को श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था। भक्त यहां भगवान से निवेदन कर रहा है कि वे उनके मन रूपी मंदिर में निवास करें।

गिरी, छुआरा, किशमिश मेवा, माखन मिश्री खाओ मेरे मोहन…

यहां भक्त भगवान को विशेष प्रकार के व्यंजनों जैसे गिरी, छुआरा, किशमिश, मेवा, माखन और मिश्री का भोग लगाने का निमंत्रण दे रहा है। इन सभी खाद्य पदार्थों का महत्व भारतीय धार्मिक परंपरा में विशेष माना गया है।

सत युग त्रेता दवापर कलयुग, हर युग दरस दिखाओ मेरे मोहन…

इस पंक्ति में श्रीकृष्ण से हर युग में अपने दर्शन देने की प्रार्थना की गई है। सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग चार युगों का उल्लेख करके भगवान के शाश्वत और सर्वव्यापी स्वरूप का वर्णन किया गया है।

जो कोई तुम्हारा भोग लगावे, सुख संपति घर आवे प्यारे मोहन…

इस पंक्ति में भगवान की कृपा का उल्लेख है कि जो भी उन्हें भोग अर्पित करता है, उसके घर में सुख और संपत्ति का वास होता है। यहां भक्ति का महत्व और भगवान की कृपा पर बल दिया गया है।

ऐसा भोग लगाओ प्यारे मोहन, सब अमृत हो जाये प्यारे मोहन…

यहां भक्त की गहरी भावनाओं का प्रतीक है कि भगवान को अर्पित किया गया भोजन अमृत रूप हो जाए और वह हर किसी को सुखद और संतुष्ट कर सके।

जो कोई ऐसा भोग को खावे, सो त्यारा हो जाये प्यारे मोहन…

इस पंक्ति में भक्त यह कह रहा है कि भगवान को अर्पित किया गया भोग खाने से व्यक्ति का मन निर्मल हो जाता है, जैसे भगवान की दिव्यता उसे पवित्र कर देती है।

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

यह पंक्ति फिर से भगवान को भोग लगाने के लिए आमंत्रण के रूप में दोहराई गई है, जो भक्त की भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा को दर्शाती है।


इस तरह से, भोग आरती भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम से भरपूर है। यह आरती उनकी महानता, भक्तों के प्रति उनके प्रेम, और सच्चे भक्ति के महत्व को बखूबी दर्शाती है।

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