- – यह भजन भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें भोले भंडारी और त्रिपुरारी के नाम से पुकारा गया है।
- – भगवान शिव के सिर पर गंगा नदी बहती है और माथे पर चंद्रमा सजा है, जो उनकी दिव्यता को दर्शाता है।
- – उनके गले में विषैले सर्प और शरीर पर मृगछाला है, जो उनकी शक्तिशाली और अनोखी छवि को दर्शाता है।
- – डमरू बजाकर शिव का नृत्य सम्पूर्ण सृष्टि को झूम उठने पर मजबूर कर देता है।
- – शिव कैलाश पर्वत पर वास करते हैं और त्रिनेत्रधारी, गंगाधारी के रूप में पूजे जाते हैं।
- – भजन में शिव से भक्ति और उनके द्वार पर आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है, जो सभी के हृदय में वास करते हैं।

भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
कर मध्य कमंडल है धारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।
गले सर्प विषैले है काले,
तन पर मृगछाला को है डाले,
डमरू जो बजाके नृत्य करे,
डमरू जो बजाके नृत्य करे,
डमरू जो बजाके नृत्य करे,
सब झूम उठे श्रष्टि सारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारि,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।
नागेश निराले मतवाले,
रहे मस्त सदा पि भंग प्याले,
अविनाशी है वासी कैलाशी,
अविनाशी है वासी कैलाशी,
अविनाशी है वासी कैलाशी,
है त्रिनेत्र प्रभु गंगाधारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारि,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।
हे शिव शंकर हे भोले प्रभु,
तेरे द्वार खड़ा क्या मांगू प्रभु,
घट घट के वासी सब जानो,
घट घट के वासी सब जानो,
घट घट के वासी सब जानो,
‘लहरी’ शिव भोले भंडारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारि,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।
भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
कर मध्य कमंडल है धारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।
Singer : Uma Lahri
