- – यह गीत भोलेनाथ (शिव) की भक्ति और कांवड़ यात्रा की महत्ता को दर्शाता है, जिसमें भक्त गंगा जल लेकर भोले के दरबार में जल चढ़ाने जाते हैं।
- – कांवड़ यात्रा में कठिनाइयों के बावजूद, भक्तों का उत्साह और समर्पण बना रहता है, और वे निराश नहीं होते।
- – गीत में कांवड़ियों के कदमों की तेजी और घुंघरुओं की आवाज़ का वर्णन है, जो उनकी भक्ति और जोश को दर्शाता है।
- – भोलेनाथ की कृपा से भक्तों की झोली भरती है और उनकी आन, बान, शान बढ़ती है।
- – यह गीत श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित करता है कि वे भोले के दर पर चलें और अपने विश्वास को मजबूत रखें।

भोले के दर चलो,
लेके कांवड़ चलो,
कलशे छोटे बड़े,
गंगा में भर चलो,
भोले शंकर को जल चढ़ाएंगे,
चल रे कांवड़िया बढ़ायेजा कदम,
होने नहीं पाए रफ़्तार तेरी कम,
घुंघरू कांवड़ियों के बोले छम छम,
काहे की फिकर अब काहे का है गम,
बोल बम बोल बम बोल बम बम बम।।
तर्ज – यारो सब दुआ करो।
सम्भल सम्भल चल भोले की नगरिया,
ऊँची नीची टेडी मेडी संकरी डगरिया,
लचके कांवर बल खाये रे कमरिया,
भारी है कांवर तेरी बाली है उमरिया,
बोल बम बोल बम बोल बम बम बम,
चल रे कांवड़िया बढ़ायेजा कदम,
होने नहीं पाए रफ़्तार तेरी कम,
घुंघरू कांवड़ियों के बोले छम छम,
काहे की फिकर अब काहे का है गम।।
ऐसे थक हार के निराश मत हो,
भोले ने बुलाया तो निभाएगा भी वो,
जिस पल होगी मुलाकात उनसे,
दिल की बताना हर बात उनसे,
बोल बम बोल बम बोल बम बम बम,
चल रे कांवड़िया बढ़ायेजा कदम,
होने नहीं पाए रफ़्तार तेरी कम,
घुंघरू कांवड़ियों के बोले छम छम,
काहे की फिकर अब काहे का है गम।।
भोले पे कांवर तेरी चढ़ जाएगी,
आन बान शान तेरी बढ़ जाएगी,
कहता बिहारी लख्खा चूकना नहीं,
खाली ना रहेगी झोली भर जाएगी,
बोल बम बोल बम बोल बम बम बम,
चल रे कांवड़िया बढ़ायेजा कदम,
होने नहीं पाए रफ़्तार तेरी कम,
घुंघरू कांवड़ियों के बोले छम छम,
काहे की फिकर अब काहे का है गम।।
भोले के दर चलो,
लेके कांवड़ चलो,
कलशे छोटे बड़े,
गंगा में भर चलो,
भोले शंकर को जल चढ़ाएंगे,
चल रे कांवड़िया बढ़ायेजा कदम,
होने नहीं पाए रफ़्तार तेरी कम,
घुंघरू कांवड़ियों के बोले छम छम,
काहे की फिकर अब काहे का है गम,
बोल बम बोल बम बोल बम बम बम।।
