ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ॥
चली कांवड़ियों की टोली,
सब भोले के हमजोली,
गौमुख से गंगाजल वो लाने वाले हैं ।
भोले के कांवड़िया,
मस्त बड़े मत वाले हैं ॥
सब अलग अलग शहरों से चलकर आते हैं,
कंधे पे उठा के कावड़ दौड़े जाते हैं ।
है कठिन डगर पर ये ना,
रुकने वाले हैं ॥
॥ भोले के कावड़िया…॥
कोई भांग धतूरा बेल की पत्रि लाए हैं,
कोई दूध दही मलमल के तिलक लगाए हैं ।
यह सब मस्तानी शिव के,
चाहने वाले हैं ॥
॥ भोले के कावड़िया…॥
‘नोधी’ जिद्द छोड़ो कावड़ आप उठा भी लो,
संघ ‘लव’ के शिव भोले की महिमा गा भी लो ।
‘सनी’ ‘दीपक’ भी साथ ही जाने वाले हैं ॥
॥ भोले के कावड़िया…॥
भोले के कांवड़िया मस्त बड़े मत वाले हैं: भजन का गहन अर्थ
परिचय
यह भजन केवल एक गीत नहीं है, बल्कि शिवभक्तों की गहरी आस्था, उनके भक्ति मार्ग और कांवड़ यात्रा की आध्यात्मिकता का जीवंत चित्रण है। प्रत्येक पंक्ति में शिव के प्रति प्रेम, समर्पण, और यात्रा के कठिन रास्तों को पार करने की शक्ति को दर्शाया गया है। इस गाने के हर शब्द में भक्ति का गहन रहस्य छिपा है।
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ॥
गहन अर्थ:
- ॐ: यह ध्वनि ब्रह्मांड की प्राथमिक ऊर्जा और अनादि सत्य को दर्शाती है। यह शिव के निराकार स्वरूप को व्यक्त करता है।
- नमः शिवाय: पाँच तत्त्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन शिव के भीतर समाहित है।
यह मंत्र शिवभक्तों के लिए एक ध्यान की स्थिति का निर्माण करता है और उन्हें शिव से जोड़ता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से: यह पंक्ति आत्मा को शिव (सर्वोच्च चेतना) के चरणों में समर्पित करती है।
चली कांवड़ियों की टोली, सब भोले के हमजोली,
गौमुख से गंगाजल वो लाने वाले हैं।
गहन अर्थ:
- चली कांवड़ियों की टोली: यह केवल भक्तों के भौतिक समूह का वर्णन नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि भक्त अपने व्यक्तिगत अहंकार को त्यागकर सामूहिक चेतना में प्रवेश करते हैं।
- सब भोले के हमजोली: भक्तों का यह संगम शिव की सादगी और उनकी भक्ति को साझा करने का माध्यम है।
- गौमुख से गंगाजल लाने वाले: गंगाजल का अर्थ है शुद्धता, पवित्रता, और समर्पण। गौमुख से जल लाना प्रतीक है अपने कर्मों को शुद्ध करने और शिव को अर्पित करने का।
यह पंक्ति गंगा के महत्व को भी उजागर करती है, जिसे शिव ने अपनी जटाओं में धारण किया।
आध्यात्मिक संकेत: गंगाजल लाना यह दर्शाता है कि भक्त शिव के प्रति अपनी साधना और संकल्प को पूर्णता प्रदान करना चाहते हैं।
भोले के कांवड़िया, मस्त बड़े मत वाले हैं।
गहन अर्थ:
- भोले के कांवड़िया: ये वे लोग हैं जो शिव के भोलेपन और सरलता को अपने जीवन में अपनाते हैं।
- मस्त बड़े मत वाले: “मस्त” शब्द न केवल उनकी भक्ति के आनंद को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे सांसारिक मोह-माया और सामाजिक बंधनों से मुक्त होकर शिव के प्रति समर्पित हैं।
यह पंक्ति इस सत्य को उजागर करती है कि भक्ति में सबसे बड़ा आनंद शिव के साथ एकात्म होने में है।
सब अलग-अलग शहरों से चलकर आते हैं,
कंधे पे उठा के कांवड़ दौड़े जाते हैं।
गहन अर्थ:
- अलग-अलग शहरों से: यह विविधता इस बात का प्रतीक है कि शिव की भक्ति भौगोलिक सीमाओं से परे है।
- कंधे पे कांवड़ उठाना: यह न केवल शारीरिक श्रम है, बल्कि यह आत्मा को तपाने और शिव के प्रति निष्ठा का प्रतीक है।
- दौड़े जाते हैं: यह बताता है कि शिवभक्त हर बाधा को पार करते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं।
आध्यात्मिक संदेश: यह पंक्ति दिखाती है कि भक्ति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन दृढ़ विश्वास और निष्ठा से हर बाधा पार की जा सकती है।
है कठिन डगर पर ये ना, रुकने वाले हैं।
गहन अर्थ:
- कठिन डगर: यह केवल कांवड़ यात्रा की कठिनाई का वर्णन नहीं है, बल्कि जीवन की उस कठिन यात्रा का भी प्रतीक है, जिसे एक भक्त शिव के प्रति समर्पण के साथ पार करता है।
- ना रुकने वाले: शिवभक्त का चरित्र यह है कि वह कभी हार नहीं मानता। कठिन परिस्थितियों में भी उसकी श्रद्धा और भक्ति अडिग रहती है।
आध्यात्मिक दृष्टि: जीवन में कठिनाइयाँ भक्त को मजबूत बनाती हैं और उसे शिव के निकट लाती हैं।
कोई भांग धतूरा बेल की पत्रि लाए हैं,
कोई दूध दही मलमल के तिलक लगाए हैं।
गहन अर्थ:
- भांग, धतूरा, और बेलपत्र: ये भगवान शिव के प्रिय तत्व हैं, और इनका हर भक्त अलग-अलग अर्थों में उपयोग करता है।
- भांग: सांसारिक इच्छाओं का त्याग।
- धतूरा: विष और कठिनाईयों को स्वीकार करना।
- बेलपत्र: पवित्रता और भक्ति का प्रतीक।
- दूध-दही और तिलक: ये प्रतीक हैं भक्तों की आस्था के, जो अपने-अपने तरीके से शिव की पूजा करते हैं।
आध्यात्मिक संदेश: शिव को भेंट की जाने वाली हर वस्तु भक्त की भावना का प्रतीक है, और शिव के लिए भावना का महत्व सामग्री से कहीं अधिक है।
यह सब मस्तानी शिव के चाहने वाले हैं।
गहन अर्थ:
- मस्तानी: यह दर्शाता है कि शिवभक्त शिव की भक्ति में इतने डूबे हैं कि वे सांसारिक चिंताओं से मुक्त हैं।
यह पंक्ति भक्ति के उस आनंद को व्यक्त करती है जो शिव के प्रति प्रेम और निष्ठा से उपजता है।
‘नोधी’ जिद्द छोड़ो कावड़ आप उठा भी लो,
संघ ‘लव’ के शिव भोले की महिमा गा भी लो।
गहन अर्थ:
- ‘नोधी’ जिद्द छोड़ो: यह नाम विशेष हो सकता है, लेकिन इसका गहरा संदेश यह है कि हर भक्त को अपने अहंकार और आलस्य को छोड़ देना चाहिए।
- संघ ‘लव’ के: सामूहिक भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। जब भक्त मिलकर भक्ति करते हैं, तो उनकी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है।
- महिमा गा भी लो: शिव की महिमा का गान करना भक्त को परम आनंद की अवस्था में ले जाता है।
आध्यात्मिक संदेश: यह पंक्ति हमें अपने अंतर्मन से शिवभक्ति करने और जीवन के आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
‘सनी’ ‘दीपक’ भी साथ ही जाने वाले हैं।
गहन अर्थ:
- सनी और दीपक: ये प्रतीक हैं मित्रता, सहयोग और सामूहिक भक्ति का।
यह पंक्ति दिखाती है कि शिवभक्ति में एकता और सामूहिकता का कितना बड़ा महत्व है।
यह भजन केवल शिव की भक्ति का वर्णन नहीं करता, बल्कि यह हर भक्त को आत्मा की गहराइयों में जाकर शिव से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यदि इसमें और गहराई चाहिए तो मैं इसे और भी विस्तृत कर सकती हूँ।