- – यह भजन भोमिया जी के प्रति भक्ति और प्रेम व्यक्त करता है, जिसमें भोमिया जी को आंगण में आने का निमंत्रण दिया गया है।
- – भजन में ढोल, नगाड़ा, और नोपता जैसे पारंपरिक वाद्यों का उल्लेख है, जो उत्सव और भक्ति के माहौल को दर्शाते हैं।
- – भोमिया जी के जोते (जूते) और देवरे (पंडाल) की महत्ता बताई गई है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक हैं।
- – भजन में भोमिया जी से छत्र (छाया) और संरक्षण की प्रार्थना की गई है, जो उनकी कृपा और सुरक्षा की कामना दर्शाता है।
- – यह भजन राजस्थान की लोक संस्कृति और भाषा में रचा गया है, जो स्थानीय धार्मिक परंपराओं को उजागर करता है।
- – गायक महेंद्रसिंह राठौड़ द्वारा प्रस्तुत यह भजन सत्य प्रकाश जांगिड़ द्वारा प्रेषित किया गया है।

भोमिया जी रमता पधारो,
म्हारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
भोमिया जी ढोल ने,
नगाड़ा बाजे नोपता,
थारे जालर वालो पड़े झणकार,
आओ मारे आंगणिया,
भोमियाजी रमता पधारो,
मारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
भोमिया जी जोता जगावा,
थारे देवरे,
भोमिया जी जोता रे,
हलकारे दर्शण देवो नी,
पधारो मारे आंगाणिया,
भोमियाजी रमता पधारो,
मारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
भोमिया जी गाया दूवाऊ,
थारे भुरकी,
थारे देवा देवा धूप मे लगावाय,
पधारो मारे आंगणिया,
भोमियाजी रमता पधारो,
मारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
थारो जोधाणा में,
बणीयो मोटो देवरो,
कोई धज्जा फरुके असमान,
पधारो मारे आंगाणिया,
भोमियाजी रमता पधारो,
मारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
भोमिया जी थारा भगता री,
सुणजो वीणती,
भोमिया जी राखो,
छत्र वाली छाव,
पधारो मारे आंगाणिया,
भोमियाजी रमता पधारो,
मारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
भोमिया जी रमता पधारो,
म्हारे आंगणिया,
थारी घणी वो करूला मनवार,
पधारो मारे आंगणिया।।
गायक – महेंद्रसिंह राठौड़
भजन प्रेषक –
सत्य प्रकाश जाँगिड़
9928551404
