- – यह गीत बिहारी (कृष्ण) और बृज भूमि के प्रेम और भक्ति की अभिव्यक्ति है।
- – गीत में कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – भक्ति भाव से भरा यह गीत कृष्ण के साथ मिलन और उनके दर्शन की लालसा दर्शाता है।
- – गीत में कृष्ण को गोपाल, गिरधारी और बनवारी जैसे प्रेमपूर्ण नामों से संबोधित किया गया है।
- – यह गीत कृष्ण की दिव्यता और भक्त की उनके प्रति लगन को उजागर करता है।
- – बृज में कृष्ण का घर बनने और उनकी बांसुरी सुनने की कामना बार-बार दोहराई गई है।

बिहारी घर मेरा बृज में,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
तर्ज – लगन तुमसे लगा बैठे।
अभी तुम सामने आये,
अभी तुम हो गए ओझल,
प्रभु ये बिच का पर्दा,
गिरा दोगे तो क्या होगा,
बिहारी घर मेरा बृज में,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
मेरे गोपाल गिरधारी,
मेरे गोपाल बनवारी,
मुझे भी अपनी सखियो में,
मिला लोगे तो क्या होगा,
बिहारी घर मेरा बृज मे,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
दयानिधि हम तुम्हारे पास,
आने को तरसती है,
हमे खुद रास्ता अपना,
दिखा दोगे तो क्या होगा,
बिहारी घर मेरा बृज में,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
बिहारी घर मेरा बृज मे,
बना दोगे तो क्या होगा,
मुझे वो बांसुरी अपनी,
सुना दोगे तो क्या होगा।।
