- – यह गीत चारभुजा जी की आराधना और उनकी महिमा का वर्णन करता है, जिसमें उनकी सुंदरता और दिव्यता का चित्रण है।
- – गीत में तुलसा (तुलसी) की पूजा और उसकी विशेषता को भी दर्शाया गया है, जो चारभुजा जी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
- – चारभुजा जी की शोभा चांदी के रथ, मुकुट, मुरली और मूंगा मोती से सजाई गई है, जो उनकी राजसी और पवित्र छवि को दर्शाता है।
- – गीत में नाच-गान और बधाई देने का माहौल है, जो चारभुजा जी के आगमन और पूजा के अवसर पर उत्सव का प्रतीक है।
- – चार वेद, ब्रह्माजी और मंगला चार का उल्लेख चारभुजा जी की धार्मिक महत्ता और आध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है।
- – यह गीत राजस्थान की लोक संस्कृति और भक्ति संगीत का सुंदर उदाहरण है, जिसे लाडू पुरी जी ने गाया है।

बिंद बणिया रे चारभुजा जी,
लाडी मारी तुलसा ओ राज,
नाचो कूदो बधाओं गाओ,
सेठ परणवाने जावे राज।।
देखे – बन्नो मारो चारभुजा रो नाथ।
सिर पे मुकुट काना में कुंडल,
मुख पे मुरली सोवे वो राज,
मीठी मीठी मुरली सुनावे,
तुलसा रे मनडे भावे वो राज,
बिंद बण्या रे चारभुजा जी,
लाडी मारी तुलसा ओ राज।।
चांदी रा रथड़ा में मारो,
सावरीयो बिराजे वो राज,
आगे आगे ढोल बजत है,
बरातियों ने नचावे वो राज,
बिंद बण्या रे चारभुजा जी,
लाडी मारी तुलसा ओ राज।।
मूंगा मोला रो चिर ओडायो,
गूंगटा में नथडी सोवे वो राज,
पांच पच्चीस मिल बैठी सहेलियां,
तुलसा रो नैनो निरखे वो राज,
बिंद बण्या रे चारभुजा जी,
लाडी मारी तुलसा ओ राज।।
चार थंबा री चवरी रचाई,
सोना रा तार खिचाया वो राज,
चार वेद ब्रह्मा जी बचिया,
मंगला चार सुनाया वो राज,
बिंद बण्या रे चारभुजा जी,
लाडी मारी तुलसा ओ राज।।
बिंद बणिया रे चारभुजा जी,
लाडी मारी तुलसा ओ राज,
नाचो कूदो बधाओं गाओ,
सेठ परणवाने जावे राज।।
Singer – Ladu Puri Ji
Upload – Raju Meena
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