- – यह गीत माँ के विभिन्न रूपों और उनकी महिमा का वर्णन करता है, जिसमें माँ को दयालु, करुणामयी और संकट हरने वाली बताया गया है।
- – गीत में माँ के कई प्रसिद्ध मंदिरों और स्थानों का उल्लेख है जैसे मैहर, काली, वैष्णो, विंध्यवासिनी, कामाख्या, नैना देवी आदि।
- – माँ को जगदम्बा, अंबिका, मनसा माता जैसे नामों से पुकारा गया है, जो उनकी व्यापक शक्ति और भक्तों की मंशा पूरी करने वाली भूमिका को दर्शाते हैं।
- – गीत में भक्तों से माँ के जयकारे लगाने और उनके चरणों की सेवा करने का आह्वान किया गया है।
- – माँ की पूजा से घर में खुशियाँ आती हैं और माँ के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, यह विश्वास गीत में व्यक्त किया गया है।
- – गीत का स्वर उमा लहरी जी का है, जो इसे भक्तिमय और भावपूर्ण बनाता है।

ऊँचे ऊँचे भवनों बैठी रुप अनेकों धारे,
चरण चाकरी कर लो भैया,
हो जाए वारे न्यारे,
बोलो जय जयकारे,
माँ के बोलो जय जयकारे।।
तर्ज – कान में झुमका चाल में।
शेर पर मैया चढ़ी चढ़ी,
ज्योति सवाई बड़ी बड़ी,
आने वाली है मेरी,
माई आने वाली है,
लाल चुनरिया जड़ी जड़ी,
देखी दुनिया खड़ी खड़ी,
शेरोवाली मैहरोवाली,
माई लाटावाली है,
कलकत्ते काली,
जोतावाली माता ज्वाला,
जम्मू में माता वैष्णो वाली है,
विंध्यवासिनी विंध्याचल की,
गुवाहाटी कामाख्या,
मनसा माता नैना देवी,
शैलसुता माँ साख्या,
बोलो जय जयकारे,
माँ के बोलो जय जयकारे।।
दयालु बड़ी माँ दयालु बड़ी,
माता करुणामयी कंजका माँ,
सबकी झोली भरे सारे संकट हरे,
माई जगदम्बिके अंबिके माँ,
‘लहरी’ न जाने क्या बखाने,
यही माने मनसा माँ,
मंशा पुरने वाली है,
जिस घर होवे पूजा माँ की,
खुशियां खुशियां बरसे,
आज तलक खाली ना लौटा,
कोई माँ के दर से,
बोलो जय जयकारे,
माँ के बोलो जय जयकारे।।
ऊँचे ऊँचे भवनों बैठी रुप अनेकों धारे,
चरण चाकरी कर लो भैया,
हो जाए वारे न्यारे,
बोलो जय जयकारे,
माँ के बोलो जय जयकारे।।
स्वर – उमा लहरी जी।
