- – शिवरात्रि का त्यौहार आ चुका है, जिसमें सभी नर-नारी मिलकर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं और उत्सव मनाते हैं।
- – इस पावन अवसर पर भक्त फूल और फल लेकर भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं और अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
- – शिवरात्रि का यह अवसर वर्ष में एक बार आता है, जो दुखों को दूर कर खुशियों से भर देता है।
- – देवघर को भोले के नगर के रूप में जाना जाता है, जहां रावण का मान टूट चुका है और “बम बम” के नारे गूंजते हैं।
- – भक्त इस दिन शिवजी की भक्ति में लीन होकर उनके चरणों में गिरकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और मन को शांति देते हैं।

लो आया शिवरात्रि त्यौहार,
चलो रे शिव दर्शन को,
नाचे नर और नारी,
झूमे सारे संसारी,
भोले का सजा है दरबार,
चलो रे शिव दरशन को,
चलो रे शिव दर्शन को।।
गुजरे जो कल जीवन के पल,
हाथ नहीं वो फिर आएँगे,
हाथ नहीं वो फिर आएँगे,
चल भई चल लेके फूल फल,
भोले को जाके मनाएंगे,
भोले को जाके मनाएंगे,
सब पाप काटेंगे,
शिव का नाम जो रटेंगे,
भक्तो ने किया श्रृंगार,
चलो रे शिव दरशन को,
चलो रे शिव दर्शन को।।
ऐसा अवसर मिलेगा किधर,
साल बाद फिर आएगा,
साल बाद फिर आएगा,
दुःख लेंगे हर भोले शंकर,
चरणों में जो तू गिर जाएगा,
चरणों में जो तू गिर जाएगा,
सोया भाग जगाले,
भोलेनाथ को मनाले,
खुशियों से भरे घरबार,
चलो रे शिव दरशन को,
चलो रे शिव दर्शन को।।
चल देवघर भोले के नगर,
रावण का मान जहाँ टुटा है,
रावण का मान जहाँ टुटा है,
देखोगे जिधर मिलेगा उधर,
बम बम का नारा अनूठा है,
बम बम का नारा अनूठा है,
‘लख्खा’ ध्यान लगाले,
छवि मन में बसाले,
बेधड़क कहे ये पुकार,
चलो रे शिव दरशन को,
चलो रे शिव दर्शन को।।
लो आया शिवरात्रि त्यौहार,
चलो रे शिव दर्शन को,
नाचे नर और नारी,
झूमे सारे संसारी,
भोले का सजा है दरबार,
चलो रे शिव दरशन को,
चलो रे शिव दर्शन को।।
