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- – यह भजन जगदम्बा महामाया की स्तुति में लिखा गया है, जिसमें उनका चाँदी का झूला झूलने का वर्णन है।
- – देवता और इन्द्र भी महामाया के दरबार में फूल बरसाते और उनके चरण धोने आते हैं।
- – भक्त जो भी महामाया के दर पर आते हैं, शीश नवाकर आशीर्वाद पाते हैं और सबकुछ प्राप्त करते हैं।
- – भजन में उच्च स्थानों से लोग दूर-दूर से आकर महामाया के दर्शन करते हैं।
- – चाँदी के झूले का प्रतीक महामाया की महिमा और भव्यता को दर्शाता है।

चाँदी का झूला झूल रही,
जगदम्बे महामाया।।
देवता सारे फूल बरसाते,
इन्दर भी तेरे दर दाती,
चरणा नु धोवन आया,
चाँदी का झूला झूल रही,
जगदम्बे महामाया।।
जेदावी तेरे दर आया,
दर पर आके शीश नवाया,
उसने सबकुछ पाया,
चाँदी का झूला झूल रही,
जगदम्बे महामाया।।
उंचिया निबिया चढ़के चढ़ाइया,
दुरो दुरो संग का आइयां,
सबने दर्शन पाया,
चाँदी का झूला झूल रही,
जगदम्बे महामाया।।
चाँदी का झूला झूल रही,
जगदम्बे महामाया।।
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