- – यह भजन श्रद्धा और भक्ति की भावना से भरा हुआ है, जिसमें भक्त अपने बाबा के चरणों में रहने की प्रार्थना करता है।
- – भजन में जीवन की कठिनाइयों और दुखों का उल्लेख है, और बाबा से दया और सहारा माँगा गया है।
- – भक्त बाबा के दर्शन की तीव्र इच्छा व्यक्त करता है और उनकी दयालुता पर विश्वास रखता है।
- – भजन में आत्म-स्वीकार और अपनी कमियों को स्वीकार करते हुए बाबा से मार्गदर्शन की प्रार्थना की गई है।
- – यह भजन शिर्डी के बाबा के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जो मन को शांति और आशा प्रदान करता है।
चरणों में रहने दो,
करता हूँ अरदास,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
तर्ज – अँखियो को रहने दो।
ग़म का सताया हूँ मै,
जग का हूँ मारा,
करके दया बाबा,
दे दो सहारा,
तारो या मारो बाबा-२,
अब है तेरे हाथ,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
राह निहारे तेरी,
नयना यह मेरे,
तरस रहे है बाबा,
दरश को तेरे,
आकर बुझा दो मेरे-२,
नैनो की आज प्यास,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
तुम हो दयालू बड़े,
कहती ये दुनिया,
मेरे शिर्डी वाले मुझमे,
बहुत है कमियाँ,
कमियो अपनी बाबा-२,
आए मुझे लाज,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
चरणों में रहने दो,
करता हूँ अरदास,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।
