- – यह गीत प्रेम की सच्चाई और पागलपन को दर्शाता है, जहाँ दौलत और शोहरत की कोई अहमियत नहीं होती।
- – प्रेमी केवल अपने प्रेमी के प्यार में दीवाना होता है और उसे किसी खजाने या दुनिया की चीजों से मतलब नहीं होता।
- – गीत में प्रेमी की आँखें अपने प्रेमी के दीदार के लिए तरसती हैं, जो प्रेम की गहराई को दर्शाता है।
- – दुनिया के सभी उपहार और कीमती वस्तुएं प्रेमी के लिए मायने नहीं रखतीं, केवल प्रेमी के प्यार की चाह होती है।
- – गीत में भगवान गिरिराज, गोवर्धन, मन मोहन और गंगा गौरी का उल्लेख है, जो प्रेम और भक्ति की भावना को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।
- – समग्र रूप से यह गीत प्रेम की पवित्रता और उसके लिए समर्पण की भावना को उजागर करता है।

दौलत शोहरत है केवल,
संसार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए।।
तर्ज – दिल दीवाने का डोला।
जो तेरा है दीवाना,
ना चाहे कोई खजाना,
उसको दिलबर से मतलब,
ना भाए उसे जमाना,
मेरी आँखे तरस रही है,
मेरी आँखे तरस रही है,
दीदार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए।।
कोई चाहे कंचन काया,
कोई मांगे नैन की ज्योति,
कोई चाहे चांदी सोना,
कोई मांगे हिरे मोती,
तेरे दर पे आई दुनिया,
तेरे दर पे आई दुनिया,
उपहार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए।।
गिरिराज गोवर्धन धारी,
मन मोहन मदन मुरारी,
‘गंगा गौरी’ ये कहते,
बस चाहे शरण तिहारी,
‘बेधड़क’ मांग रहे तुमसे,
‘बेधड़क’ मांग रहे तुमसे,
परिवार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए।।
दौलत शोहरत है केवल,
संसार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए,
हम तो प्रेमी पागल है,
तेरे प्यार के लिए।।
स्वर – कुमार गिरिराज जी।
