- – यह गीत भगवान गणपति से दया और सहायता की प्रार्थना है, जिसमें भक्त अपनी कमजोरियों और असहायता को व्यक्त करता है।
- – भक्त स्वयं को भगवान का बालक, सेवक और पुजारी मानते हुए उनकी कृपा और संरक्षण की अपेक्षा करता है।
- – गीत में यह स्वीकार किया गया है कि भक्त के पास न तो बल है, न साधन, न भक्ति, इसलिए वे पूरी तरह से भगवान पर निर्भर हैं।
- – भगवान गणपति को दयालु और संरक्षक के रूप में पुकारते हुए, भक्त अपनी बिगड़ी हुई दशा सुधारने की विनती करता है।
- – यह भक्ति गीत श्रद्धा, समर्पण और भगवान के प्रति पूर्ण विश्वास की भावना को दर्शाता है।

शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
सम्भालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
तर्ज – तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो।
ना हम में बल है ना हम में शक्ति,
ना हम में साधन ना हम में भक्ति,
तुम्हारे दर के है हम भिखारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
जो तुम पिता हो तो हम है बालक,
जो तुम हो स्वामी तो हम है सेवक,
जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
भले जो है हम तो है तुम्हारे,
बुरे जो है हम तो है तुम्हारे,
तुम्हारे हो कर भी हम दुखारी,
दया करों हे दयालु गणपति,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
सम्भालो बिगड़ी दशा हमारी,
दया करों हे दयालु गणपति।।
गायक – डॉ. रविन्द्र कुमार।
