- – महादेव शिवाय को देवों में सर्वोच्च और महान माना गया है, जिनकी पूजा “ॐ नमः शिवाय” के मंत्र से होती है।
- – महादेव के माथे पर चंद्रमा और गले में नाग विराजमान हैं, जो उनकी विशिष्ट पहचान हैं।
- – शिव भोले और मतवाले हैं, जो सबको उजाला और शांति प्रदान करते हैं, और वे पार्वती के पुत्र के साथ सुहाए हुए हैं।
- – तांडव नृत्य के प्रिय नटराज के रूप में महादेव का वर्णन किया गया है, जिनके डमरू की ध्वनि अत्यंत मधुर और प्रभावशाली है।
- – समुद्र मंथन के समय निकले जहरीले विष को पीकर महादेव ने देवताओं की रक्षा की, जिससे उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाता है।

देव नहीं महादेव शिवाय,
बोलो ॐ नमः शिवाय,
बोलो ॐ नमः शिवाय,
देवो में देव महादेव कहाय,
बोलो ॐ नमः शिवाय
देव नहीं महादेव शिवाय।।
माथे पे सोहे मुकुट चंदा,
गले में सोहे नाग देव काला,
माथे पे सोहे मुकुट चंदा,
गले में सोहे नाग देव काला,
सबको दे उजाला,
शिव भोला मतवाला,
संग गिरिजा सूत सुहाय,
देव नही महादेव शिवाय।।
धिधिपांग धीपलाँग बांग बाजत साज,
डमक डमक डमक डम डम डम डम डमरू नाद,
धिधिपांग धीपलाँग बांग बाजत साज,
डमक डमक डमक डम डम डम डम डमरू नाद,
धूम धूम धूम माचवे धूम धूम धूम माचवे,
तांडव प्रिय नटराज कहावे,
देव नही महादेव शिवाय।।
समुद्र मंथन से जब निकला जहर,
देव दैत्य सब बोले हर हर हर हर,
समुद्र मंथन से जब निकला जहर,
देव दैत्य सब बोले हर हर हर हर,
पल में विष पी डाला देवो पे रहम कर डाला,
पीकर विष नीलकंठ कहाय,
देव नही महादेव शिवाय।।
