- – गीत में “ढफ बाजे कुँवर किशोरी के” का बार-बार उल्लेख है, जो उत्सव और खुशी का प्रतीक है।
- – गीत में सखी और किशोरी के रंगों और सुंदरता का वर्णन किया गया है।
- – मोहन और प्रीतम के प्रेम और मन मोह लेने वाली भावनाओं का उल्लेख है।
- – वृंदावन की रूपस्वामिनी का वर्णन होरी के अवसर पर ढफ बजाने के संदर्भ में किया गया है।
- – यह गीत पारंपरिक और धार्मिक उत्सवों में गाया जाने वाला भक्ति और लोकगीत प्रतीत होता है।
- – गीत के गायन में श्री चित्र विचित्र जी का नाम जुड़ा है, जो इसे जीवंत बनाते हैं।

ढफ बाजे कुंवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
हम्बे ढफ बाजे,
हांजी ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे।।
कैसी ये संग सखी रंग भीनी,
सखी रंग भीनी,
छैल छबीली गोरी के,
छैल छबीली गोरी के,
ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
हम्बे ढफ बाजे,
हांजी ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे।।
हो हो कही मोहन मन मोहत,
मोहन मन मोहत,
मोहन मन मोहत,
प्रीतम के चितचोरी के,
ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
हम्बे ढफ बाजे,
हांजी ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे।।
वृंदावन हित रूप स्वामिनी,
रूप स्वामिनी,
रूप स्वामिनी,
कर ढफ बाजत होरी के,
ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
हम्बे ढफ बाजे,
हांजी ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे।।
ढफ बाजे कुंवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे,
हम्बे ढफ बाजे,
हांजी ढफ बाजे,
ढफ बाजे कुँवर किशोरी के,
ढफ बाजे।।
Singer : Shri Chitra Vichitra Ji
