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- – यह गीत धन जोबन और काया नगर की सुरक्षा और सम्मान की बात करता है, जिसमें किसी को भी उनके खिलाफ मत करने की चेतावनी दी गई है।
- – गीत में परिवार के सदस्यों की भावनाओं का वर्णन है, जैसे माँ, भाई और विवाहिता का रोना, जो नुकसान के प्रति संवेदनशीलता दर्शाता है।
- – साथ ही, गीत में पांच साथी और उनके हथियारों का उल्लेख है, जो संघर्ष और रक्षा के लिए तैयार हैं।
- – शंकर दास ब्राह्मण की भूमिका भी महत्वपूर्ण बताई गई है, जो सभी गुणियों का सम्मान करता है और अपने गाँव की पहचान बताता है।
- – कुल मिलाकर, यह गीत एक समुदाय की एकजुटता, सम्मान और सुरक्षा की भावना को उजागर करता है।

धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर।।
क्यूँ चले से आंगा पांगा,
चिता बिच तने धर देंगे नंगा,
एक अग्नि का लेके पतंगा,
तेरे फिर जाएंगे चारो ओर,
धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर।।
सिराणे खड़ी तेरी माई रोवे,
भुजा पकड़ तेरा भाई रोवे,
पायाँ खड़ी रे तेरी ब्याहि रे रोवे,
जिसने ल्याया बाँध के मोल,
धन जोबन और काया रे नगर की,
कोई मत करो रे मरोर।।
पांच साथ तेरे चलेंगे साथ में,
गोसा पुला लेके हाथ में,
इक पिंजरी का ले बांस हाथ में ,
तेरे देंगे सर में फोड़,
धन जोबन और काया रे नगर की,
कोई मत करो रे मरोर।।
शंकर दास ब्राम्हण गावे,
सब गुणियों को शीश झुकावे,
अपणा गाम जो खोली बतावे,
वो तो गया रे मुलाजा तोड़,
धन जोबन और काया रे नगर की,
कोई मत करो रे मरोर।।
धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
