- – भजन में गुरु मुरारी के हाथ पकड़कर उनसे मार्गदर्शन और कष्टों के निवारण की बात कही गई है।
- – बाबा की सच्ची और अखंड ज्योति से ध्यान लगाकर मन के भ्रम दूर करने का संदेश दिया गया है।
- – भक्त कई घंटे जाप करते हैं और सतगुरु के हाथ पकड़कर मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।
- – भक्ति और निस्वार्थ प्रेम से मन में आनंद और मस्ती का अनुभव होता है।
- – भजन में सच्चाई, भक्ति और दुनिया के साथ सही व्यवहार की महत्ता पर जोर दिया गया है।
- – यह भजन नरेन्द्र कौशिक द्वारा गाया गया है और राकेश कुमार जी द्वारा प्रेषित किया गया है।
धरगे गुरु मुरारी हाथ,
सुझण लागी अगत की बात,
सबके कष्ट मिटावः सः,
मन्नै सुणी स चोटी आले में,
बाबा आवः स।।
बाबा की दिखः स परछाई,
सच्ची अखण्ड जोत जगाई,
सच्चा ध्यान लगावः स,
मन्नै सुणी स चोटी आले में,
बाबा आवः स।।
कई कई घण्टे जाप करः स,
सिर सतगुरु हाथ धरः स,
मन का भरम मिटावः स,
मन्नै सुणी स चोटी आले में,
बाबा आवः स।।
छोटी सी पुलिया प धाम,
भक्ति होरी स निसकाम,
मन में मस्ती छावः स,
मन्नै सुणी स चोटी आले में,
बाबा आवः स।।
राजपाल भक्त स भोला,
इसमें झुठ नहीं स तोला,
दुनिया साथ निभावः स,
मन्नै सुणी स चोटी आले में,
बाबा आवः स।।
धरगे गुरु मुरारी हाथ,
सुझण लागी अगत की बात,
सबके कष्ट मिटावः सः,
मन्नै सुणी स चोटी आले में,
बाबा आवः स।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )
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