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दीनो का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा भजन लिरिक्स – Deeno Ka Dukhda Jo Tu Na Sunega Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता दीनों (गरीबों, कमजोरों) की पीड़ा और उनके दुखों को सुनने और समझने की अपील करती है।
  • – कवि श्याम से आग्रह करता है कि वह दीनों की व्यथा को अनसुना न करे, क्योंकि पूरी दुनिया उनकी पीड़ा देख रही है।
  • – कविता में यह बताया गया है कि जो लोग जग को चलाते हैं, उन्हें कमजोरों का सहारा बनना चाहिए और उनके दुखों को समझना चाहिए।
  • – भय और निठुराई के बावजूद, न्याय और सही बात कहने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
  • – संकट के समय में प्रभु की सहायता और विश्वास की महत्ता को भी उजागर किया गया है।
  • – अंत में, कवि श्याम से यह उम्मीद करता है कि वह दीनों की पीड़ा को समझेगा और उनका दुख न सुनेगा तो पूरी दुनिया क्या कहेगी, इस पर विचार करेगा।

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दीनो का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनानाथ ऐसी बात कैसे तू सहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।

तर्ज – झिलमिल सितारों का।



जग को चलाने वाले कैसे चुप चाप हो,

हारे को सहारा देने वाला खुद आप हो,
कुछ तो विचारो क्या करना पड़ेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।



डरता हूँ दुनिया में होवे ना हसाई,

दीनो के नाथ कैसी करी निठुराई,
वाजिब है जो वो बताना पड़ेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।



समय पे किये की प्रभु बात कुछ और है,

तेरे आगे चलता ना मेरा कोई जोर है,
संकट ये मेरा तुमको हरना पड़ेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।

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हसी है तुम्हारी भी ये मन में विचार लो,

सारी बाते सोच कर के पलके उघाड़ लो,
‘सांवर’ तेरा है बाबा तेरा ही रहेगा,
सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।



दीनो का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा,

सोचो जरा श्याम सारा जग क्या कहेगा,
दीनानाथ ऐसी बात कैसे तू सहेगा,
दीनों का दुखड़ा जो तू ना सुनेगा।।

स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
प्रेषक – शाश्वत शर्मा।


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