- – यह गीत भगवान शिव के दूल्हा बनकर हिमाचल आने की महिमा और भव्यता का वर्णन करता है।
- – शिव के दूल्हा बनने पर देवताओं और भूत-प्रेतों का संगम होता है, जो उनके विवाह की शोभा बढ़ाता है।
- – ब्रह्मा और विष्णु समेत सभी देवता शिव के बाराती बनकर हिमाचल की नगरी की ओर जाते हैं।
- – शिव का रूप, उनके डमरू की ध्वनि और उनकी भव्यता का विस्तार से चित्रण किया गया है।
- – गीत में शिव के पारंपरिक स्वरूप जैसे बैल पर बैठना, नाग विषधर गले में होना, और जटाओं में चंद्रमा सजाना दर्शाया गया है।
- – यह रचना हिमाचल की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के साथ शिव पूजा की गहरी आस्था को प्रतिबिंबित करती है।

दूल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के,
आना गजब हो गया,
क्या अजब शान थी,
क्या गजब रूप था,
शिव का दूल्हा बनाना,
गजब हो गया,
दूल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी।।
तर्ज – हाल क्या है दिलों का ना।
धरती अम्बर हिला,
शिव का डमरू बजा,
देवता सब चले,
अपना वाहन सजा,
भुत प्रेतों के संग आए शुक्र शनि,
भुत प्रेतों के संग आए शुक्र शनि,
शिव का घोतक रचाना,
गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के,
आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी।।
ब्रम्हा विष्णु जी देखो,
बाराती बने,
शिव के ब्याह में,
हिमाचल की नगरी चले,
धीरे धीरे लगे साज बजने सभी,
धीरे धीरे लगे साज बजने सभी,
शिव का डमरू बजाना,
गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के,
आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी।।
बैल पे बैठके,
राख तन पे मले,
काँधे झोला बड़ा,
नाग विषधर गले,
दूल्हा बूढ़ा सा जोगी है,
लम्बी जटा,
चंदा मस्तक सजाना,
गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के,
आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी।।
क्या बाराती अजब से है
भोले के संग,
हाथी घोड़े पे है कोई,
मस्त मलंग,
मैना रानी ने देखा ये,
जब माजरा,
मैना रानी ने देखा ये,
जब माजरा,
‘बिन्नू’ शिव का ये बाना,
गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के,
आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी।।
दूल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के,
आना गजब हो गया,
क्या अजब शान थी,
क्या गजब रूप था,
शिव का दूल्हा बनाना,
गजब हो गया,
दूल्हा बनकर के,
शंकर चले जिस घड़ी।।
