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दुनिया ये स्वारथ की कोई भी नहीं अपना है लिरिक्स – Duniya Ye Swarth Ki Koi Bhi Nahi Apna Hai Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता दुनिया की स्वार्थी प्रवृत्ति को दर्शाती है जहाँ कोई भी सच्चा अपना नहीं होता।
  • – रिश्तों में प्यार और विश्वास की कमी है, और पैसा ही सबसे बड़ा आधार बन गया है।
  • – परिवार के सदस्य भी एक-दूसरे से दूर हो गए हैं, यहाँ तक कि माँ-बाप और बच्चे भी एक-दूसरे को भूल जाते हैं।
  • – समाज में स्वार्थ के कारण भाई-भाई के रिश्ते भी कमजोर हो गए हैं।
  • – कविता में यह संदेश है कि आज की दुनिया में स्वार्थ ने इंसानियत और अपनापन खत्म कर दिया है।

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दुनिया ये स्वारथ की,
कोई भी नहीं अपना है,
भाई को भाई ना समझे,
समझे नहीं अपना है,
दुनिया यह स्वार्थ की,
कोई भी नहीं अपना है।।

तर्ज – इक प्यार का नगमा है।



पैसे बिन प्यार कहाँ,

पैसे बिना यार कहाँ,
पराया तो पराया है,
अपनों का विश्वास कहाँ,
बेढंग जगत का चलन,
अपनों में यहां है विघन,
गर जेब में है पैसा,
कहो हाल तो है कैसा,
दुनिया यह स्वार्थ की,
कोई भी नहीं अपना है।।



जिस माँ ने जन्म दिया,

और पिता ने पाला है,
हालात ये है कैसे,
उन्हें घर से निकाला है,
बीवी जब घर आए,
तो माँ बाप को भूले हैं,
माँ बाप के जीवन को,
करते वीराना है,
दुनिया यह स्वार्थ की,
कोई भी नहीं अपना है।।



दुनिया ये स्वारथ की,

कोई भी नहीं अपना है,
भाई को भाई ना समझे,
समझे नहीं अपना है,
दुनिया यह स्वार्थ की,
कोई भी नहीं अपना है।।

Singer – Brajesh saral kannauj
अलबेला ग्रुप कानपुर।
6392532703

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