- – गीत “इक बार तो मोहन आजा रे” में प्रेम और भक्ति की भावना प्रमुख रूप से व्यक्त की गई है।
- – गीत में मोहन (श्री कृष्ण) से मिलने की तीव्र इच्छा और मन की तरस को दर्शाया गया है।
- – भावुकता और आस्था के साथ भजन में श्याम (कृष्ण) की मोहिनी सूरत और उनके दरबार की महिमा का वर्णन है।
- – गीत में आंसुओं और प्रेम की कीमत को भी उजागर किया गया है, जो भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
- – सुरेश द्वारा बाबा का संदेश और कृपा की कामना भी गीत में शामिल है, जो सामूहिक भक्ति और आशा को दर्शाता है।
- – यह भजन अनिल लता और प्रिया पोद्दार द्वारा गाया गया है, जिसमें राजस्थान की लोकभाषा और संस्कृति की झलक मिलती है।

एक बार तो मोहन आजा रे,
मिलने के लिए मन तरसे है,
मिलने के लिए मन तरसे है,
बतिया के लिए मन तरसे है।।
तर्ज – दिल लुटने वाले जादूगर।
भावा को भूखो श्याम मेरो,
आंसू यो देख ना पावे है,
कोई मोल नहीं इनको प्यारो,
यो तो भावा पर बिक जावे है,
दो असुवन की धारा पर यो,
मेरे श्याम धणी रिझ जावे,
इक बार तो मोहन आजा रे,
मिलने के लिए मन तरसे है।।
तेरो दरबार ओ सांवरिया,
लागे हम सब ने घनो प्यारो है,
तेरी मोहनी सूरत से सारे,
जग में छायो उजियारो है,
तू जान से लागे प्यारो है,
क्यूंकि तू हारे को सहारो है,
इक बार तो मोहन आजा रे,
मिलने के लिए मन तरसे है।।
‘सुरेश’ को दिल हर्षायो है,
बाबा रो संदेशो आयो ह।
मैं आऊंगा तुझसे मिलमें,
म्हा पर कृपा बरसायो है,
सब मिलकर खूब रिझाओ जी,
थारा बिगड़ा काम बनावे है,
Bhajan Diary Lyrics,
इक बार तो मोहन आजा रे,
मिलने के लिए मन तरसे है।।
एक बार तो मोहन आजा रे,
मिलने के लिए मन तरसे है,
मिलने के लिए मन तरसे है,
बतिया के लिए मन तरसे है।।
Singer – Anil Lata & Priya Poddar
