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एक बार जो रघुबर की नजरो का इशारा हो जाये – Ek Baar Jo Raghubar Ki Najro Ka Ishara Ho Jaye – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता भगवान श्री राम की भक्ति और उनके प्रति समर्पण की भावना को व्यक्त करती है।
  • – कवि रघुबर (श्री राम) की नजरों के इशारे और उनकी लगन में खो जाने की इच्छा प्रकट करता है।
  • – श्री राम के चरणों में आशीर्वाद पाने और उनके धूल से जीवन का सहारा पाने की कामना की गई है।
  • – सरकार की महफ़िल में तकदीर बनाने और अपनी बिगड़ी तकदीर को सुधारने के लिए राम का एहसान मानने की बात कही गई है।
  • – श्री राम के मंदिर और भागीरथी गंगा के पवित्र स्थान का वर्णन है, जहां सभी भवसागर से पार पाने के लिए आते हैं।
  • – समग्र रूप से यह कविता भक्ति, श्रद्धा और भगवान राम के प्रति पूर्ण विश्वास का संदेश देती है।

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एक बार जो रघुबर की,
नजरो का इशारा हो जाये,
तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।



श्री राम तुम्हारे चरणों में,

आशीष सभी को मिलती है,
यह धूल तुम्हारी मिल जाये,
जीवन का सहारा हो जाये।

एक बार जो रघुवर की,
नजरो का इशारा हो जाये,
तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।



सरकार तुम्हारी महफ़िल में,

तकदीर बनाई जाती है,
मेरी भी बिगड़ी बन जाये,
एहसान तुम्हारा हो जाये।

एक बार जो रघुवर की,
नजरो का इशारा हो जाये,
तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।



ये श्री राम का मंदिर है,

भागीरथी गंगा बहती है,
सब लोग यहाँ पे तरते है,
भव पार सभी का हो जाये।

एक बार जो रघुबर की,
नजरो का इशारा हो जाये,
तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।

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