- – यह गीत भगवान गणेश जी की महिमा और उनकी पूजा की महत्ता को दर्शाता है।
- – गणेश जी को विघ्नहर्ता और रिद्धि-सिद्धि के दाता के रूप में पूजा जाता है।
- – जो लोग गणेश जी की भक्ति करते हैं, उन्हें कष्ट नहीं होता और वे उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
- – मोदक भगवान गणेश का प्रिय भोग है और वे अपने भक्तों की हर समस्या का समाधान करते हैं।
- – गीत में गणेश जी को “माँ गौरा के राज दुलारे” और “शिव भोले की आँख के तारे” के रूप में संबोधित किया गया है।
- – भक्तों द्वारा गणेश जी का प्रथम पूजन किया जाता है, जो सभी कार्यों की सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

माँ गौरा के राज दुलारे,
शिव भोले की आँख के तारे,
हे एकदन्त गणराज,
तुम्हारा क्या कहना,
करूँ सर्वप्रथम गुणगान,
तुम्हारा क्या कहना।।
तर्ज – बजरंगी हनुमान तुम्हारा क्या कहना।
तुम पहले पूजे जाते,
विघ्नो को दूर भगाते,
जो महिमा तेरी गाते,
उसे कष्ट कभी न सताते,
जो तेरा ध्यान लगाए,
जो सुमिरण तेरा गाए,
उससे करते हो प्यार,
तुम्हारा क्या कहना,
हे एक दन्त गणराज,
तुम्हारा क्या कहना।।
तुम रिद्धि सिद्धि के दाता,
है मोदक तुमको भाता,
गजवदन विनायक तुम्हरी,
है शरण में जो भी आता,
तुम नैया पार लगाते,
है बिगड़ी सबकी बनाते,
ओ मूषक के असवार,
तुम्हारा क्या कहना,
करूँ सर्वप्रथम गुणगान,
तुम्हारा क्या कहना।।
जो पूजे मात पिता तो,
सम्मान है तुमसा पाता,
फिर सारे जगत में तुमसा,
है प्रथम वो पूजा जाता,
‘लक्की’ ने तुमको ध्याया,
‘भावेश’ के संग है मनाया,
अब कृपा करो इस ओर,
तुम्हारा क्या कहना,
हे एक दन्त गणराज,
तुम्हारा क्या कहना।।
माँ गौरा के राज दुलारे,
शिव भोले की आँख के तारे,
हे एकदन्त गणराज,
तुम्हारा क्या कहना,
करूँ सर्वप्रथम गुणगान,
तुम्हारा क्या कहना।।
Singer : Laxmi Narayan Kumawat
