- – यह गीत नागाणा माता की स्तुति और उनके मंदिर के महत्व को दर्शाता है, जहां कोयल की मधुर धुन और मोर की मीठी आवाज़ सुनाई देती है।
- – गीत में धूप और ज्योति के समय माता के आगमन की प्रतीक्षा का भाव व्यक्त किया गया है।
- – नव रात्री के दौरान गरबा नृत्य और ढोल-नगाड़े की धुन के साथ उत्सव मनाने का वर्णन है।
- – देवी के बेसणो (भोजन) की तैयारी और उसकी महत्ता पर जोर दिया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष होता है।
- – माता से शरण लेने और उनकी कृपा पाने की विनती की गई है, जिससे भक्तों को सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त हो।
- – यह गीत पारंपरिक राजस्थानी संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का सुंदर प्रतिनिधित्व करता है।

ऐवा धूपा री वेला वेगा आवजो,
श्लोक:- नागाणा रे मायने,
मंदिर बनियो जोर,
कोयलिया टूका करे,
हे माडि मीठा बोले मोर।।
ऐवा धूपा री वेला वेगा आवजो,
ऐवा ज्योता री वेला वेगा आवजो,
आवो आवो, आवो आवो,
नागणेशी मात रे माड़िये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा नागाणा धरती में थारो बेसणो,
थारो मंदिर, थारो मंदिर,
बनियो बड़ो जोर रे माड़ीये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा नव रे रात्री में वेगा आवजो,
गरबे खेलो, गरबे खेलो,
सब बैनो साथ रे माड़ीये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा ढोलरे नगाड़ा रूडा बाजिया,
प्यारो लागे, प्यारो लागे,
झालर रो झनकार रे माड़ीये मारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
माड़ी सुवटी देवी री अर्जी सांभलो,
सुनीता ने,सुनीता ने,
शरणा माय राखोये माड़ीये मारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
ऐवा धुपा री वेला वेगा आवजो,
ऐवा ज्योता री वेला वेगा आवजो,
आवो आवो, आवो आवो,
नागणेशी मात रे माड़िये म्हारी,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो,
रूड़ोरे लागे देवी रो बेसणो।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
सम्पर्क : +91 9096558244
