- – यह भजन गजानंद देव की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें सरस्वती माँ ने सिमरित किया है और वे बड़े मतवाले और सुंडाले हैं।
- – भजन में चार सखियों और रिद्धि-सिद्धि नारी के साथ शिव शक्ति के बालक का उल्लेख है, जो इच्छा पूरी करने वाले हैं।
- – राजा, जोगी, वेपारी, राम, लक्ष्मण, दस अवतार, ब्रह्मा, सूरज, इंद्र जैसे दिव्य और सांसारिक तत्वों का स्मरण किया गया है।
- – नाथ गुलाब गुरु और भवानी नाथ सतगुरुजी के चरणों में भक्ति का भाव प्रकट हुआ है, जो भ्रम के ताले खोलते हैं।
- – भजन का गायन सुरेश लोहार ने किया है और इसे सांवलाराम प्रजापत द्वारा प्रेषित किया गया है।
गजानंद देव बड़ा मतवाला,
सरस्वती माँ ने गजानंद सिमरु,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
चार सखियो मंगला गावे,
इच्छा पुरावण वाला,
रिद्धि सिद्धि नारी थोरे संग में विराजे,
शिव शक्ति रा बाला।
गजानन्द देव बड़ा मतवाला,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
राजा सिमरे प्रजा सिमरे,
सिमरे जोगी जटाधारा,
उठ प्रभाते वेपारी सिमरे,
रोजी पुरावण वाला।
गजानन्द देव बड़ा मतवाला,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
राम सिमरे लखमन सिमरे,
दस अवतारा,
उठ प्रभाते ब्रह्मोजी थाने सिमरे,
वेद बसावन वाला।
गजानन्द देव बड़ा मतवाला,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
सूरज सिमरे संदा सिमरे,
सिमरे नवलख तारा,
उठ प्रभाते इंदर थाने सिमरे,
जल बरसावन वाला।
गजानन्द देव बड़ा मतवाला,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
नाथ गुलाब गुरु पूरा मिलिया,
हिरदे हुवा अजुवाला,
भवानी नाथ सतगुरुजी रे चरणे,
खुलिया भरम रा ताला।
गजानन्द देव बड़ा मतवाला,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
गजानंद देव बड़ा मतवाला,
सरस्वती माँ ने गजानंद सिमरु,
हाथ खड़क छोगाला,
गजानंद सोमी बड़ा सुंडाला।।
गायक – सुरेश लोहार।
भजन प्रेषक – सांवलाराम प्रजापत
9610721737