- – यह भजन गणपति और सतगुरु की महिमा का गुणगान करता है, जो अंधकार में प्रकाश की तरह है।
- – भजन में सतगुरु की उपासना और उनके वचनों का पालन करने का महत्व बताया गया है।
- – जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए सतगुरु की शिक्षा और जागरूकता आवश्यक है।
- – शूरवीरों की तरह साहस दिखाने और डर को त्यागने का संदेश दिया गया है।
- – भजन में प्रकृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे नदी, खेत, और मोती की तुलना के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान समझाया गया है।
- – यह भजन मंगू गोस्वामी द्वारा प्रस्तुत किया गया है और राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

गणपत गरवा ओपरा रे,
सिंवरो भाई संतो।
श्लोक – सौ सौ चन्दा ऊगवे,
सूरज तपे हजार,
इतरा चानण होत भी,
गुरू बिना घोर अन्धकार।
गणपत गरवा ओपरा रे,
सिंवरो भाई संतो,
भव रे सागर में डूबता रे,
पद अबके लादो,
सतगुरु हेलो मारियो रे,
सुतोङा जागो,
शूरा पुरा रो खेलणो रे,
कायर डर भागो।।
नदी किनारे बेठणो रे,
जल पीणो ठंडो,
वचन गुरू रो मानणो रे,
पग धरणो आगो।
म्हारा सतगुरु हेलो मारियो रे,
सुतोङा जागो,
शूरा पुरा रो खेलणो रे,
कायर डर भागो।।
बीज खेतर मे वावणो रे,
खारस मत वावो,
किदोङि कमाई,
आडि आवसी रे,
गाडा भर लावो।
म्हारा सतगुरु हेलो मारियो रे,
सुतोङा जागो,
शूरा पुरा रो खेलणो रे,
कायर डर भागो।।
हिरला बणजो हेत रा ओ,
हंस दावण हालो,
मोती समंदा नीपजे रे,
हंसला रो ठावो।
म्हारा सतगुरु हेलो मारियो रे,
सुतोङा जागो,
शूरा पुरा रो खेलणो रे,
कायर डर भागो।।
धरमी दास जग हेरिया रे,
एतबारो आयो,
केंवू दीवाना रे देश री ओ,
झूठी मत जाणो,
म्हारा सतगुरु हेलो मारियो रे,
सुतोङा जागो,
शूरा पुरा रो खेलणो रे,
कायर डर भागो।।
गणपत गरवा ओपरा रे,
सिंवरो भाई संतो,
भव रे सागर में डूबता रे,
पद अबके लादो,
सतगुरु हेलो मारियो रे,
सुतोङा जागो,
शूरा पुरा रो खेलणो रे,
कायर डर भागो।।
यह भजन ‘mangu goswami
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‘राजस्थानी भजन डायरी’ से,
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