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- – यह भजन गणपति जी की स्तुति में लिखा गया है, जिसमें दो नारीयों का वर्णन है जो प्रभु की सेवा करती हैं।
- – पहली नारी प्रभु के लिए जल भर लाती है और दूसरी चरण धूलावण वाली है।
- – एक नारी रसोई बनाती है और दूसरी प्रभु की देखभाल करती है।
- – एक नारी प्रभु के लिए सेज बिछाती है और दूसरी चरण दबाने वाली है।
- – भजन में गणपति जी की पूजा और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
- – भजन के लेखक और गायक ताराचंद साहू हैं।

गणपत जी ने सोहे,
दोय नारी जी गणपत ने।।
एक नार प्रभु के जल भर लावे,
एक नार प्रभु के जल भर लावे,
दूजी चरण धूलावण वाली जी,
गणपत ने,
गणपति जी ने सोहे,
दोय नारी जी गणपत ने।।
एक नार प्रभु के बणत रसोई,
एक नार प्रभु के बणत रसोई,
दूजी नार जिमावण वाली,
गणपत ने,
गणपति जी ने सोहे,
दोय नारी जी गणपत ने।।
एक नार प्रभु के सेज बिछावे,
एक नार प्रभु के सेज बिछावे,
दूजी चरण दबा वण वाली जी,
गणपत ने,
गणपति जी ने सोहे,
दोय नारी जी गणपत ने।।
प्रथम पूज्य प्रभु मे पाहे लागू,
गणंपत जी पे जाहू बलहारी जी,
गणपत ने,
गणपति जी ने सोहे,
दोय नारी जी गणपत ने।।
गणपत जी ने सोहे,
दोय नारी जी गणपत ने।।
– भजन प्रेषक & गायक –
ताराचंद साहू
9214785625
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