- – यह गीत मुरारी (भगवान कृष्ण) से विनती करता है कि वे गरीबों के दाता बनकर उनकी सहायता करें।
- – गीत में पार नैया (जीवन की नाव) पार कराने के लिए मुरारी से मदद की गुजारिश की गई है।
- – कवि अपने आप को भगवान का भिखारी बताते हुए उनकी दया और कृपा की आशा करता है।
- – मुरारी को दया और शहंशाह के रूप में सम्मानित करते हुए उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
- – यह गीत भक्ति और विश्वास की भावना से भरा हुआ है, जिसमें संकटों से उबरने के लिए ईश्वर की सहायता मांगी गई है।
गरीबो के दाता हो,
अगर तुम मुरारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी,
जो तुमने करोडो की,
बिगड़ी सँवारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
गुजारा ना होगा,
गर तू खफा है,
अगर तू मेरा है,
तो बेशक नफा है,
मै सदियों से तेरे हूँ,
दर का भिखारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी,
गरीबो के दाता हों,
अगर तुम मुरारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी।।
तू भंडार है यूँ,
सुना है दया का,
शहंशाह है तू ही,
सारे जहाँ का,
क्या तोहिन होगी,
दया की तुम्हारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी,
गरीबो के दाता हों,
अगर तुम मुरारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी।।
ज़माने के मालिक,
मेरी आरजू है,
तुम्ही से ओ सांवलिया,
मेरी गुफ्तगू है,
खता कौन काशी की,
सुध क्यों बिसारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी,
गरीबो के दाता हों,
अगर तुम मुरारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी।।
गरीबो के दाता हों,
अगर तुम मुरारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी,
जो तुमने करोडो की,
बिगड़ी सँवारी,
मेरी पार नैया,
लगानी पड़ेगी।।