- – यह गीत भगवान गणेश (गणराजा) की आराधना और उनकी उपस्थिति की कामना करता है।
- – कीर्तन के माध्यम से भगवान गणेश के आने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना की गई है।
- – गीत में भगवान गणेश के स्वागत के लिए फूल, लड्डू और भोग लगाने का वर्णन है।
- – भगवान गणेश के आने से सब कुछ मंगलमय और सुखद हो जाता है।
- – गीत की रचना और स्वर किशोरी दास_चेतन ने किया है, और ढोलक पर यश ने संगीत दिया है।

गौरी सुत प्यारे गणराजा,
कीर्तन की हर लो बाधा,
आ भी जाओ अब शिव के दुलारे,
पहले तुमको धोक धरु,
पहले तुमको पाय लगू।।
तर्ज – ये गलिया ये चौबारा।
राहे फूलों से सजाई,
लाओ संग बाबा माई,
पहली आवाज लगाई,
कीर्तन को करो सुखदाई,
लड्डू के भोग लगाए,
खास आपके लिए बनवाये,
आकर बैठो महाराजा,
तुमको देखे तो सुख पाए,
सब दिल से तुम्हे पुकारे,
बस आपकी राह निहारे,
आ भी जाओ अब शिव के दुलारे,
पहले तुमको धोक धरु,
पहले तुमको पाय लगू।।
सब कुछ मंगल हो जाता,
जो गीत तुम्हारे गाता,
अंबर से बरसता अमृत,
जहाँ पांव तुम्हारा जाता,
मेरे अँगना भी आ जाना,
मुझको भी दर्शन दिखलाना,
आ भी जाओ अब शिव के दुलारे,
पहले तुमको धोक धरु,
पहले तुमको पाय लगू।।
गौरी सुत प्यारे गणराजा,
कीर्तन की हर लो बाधा,
आ भी जाओ अब शिव के दुलारे,
पहले तुमको धोक धरु,
पहले तुमको पाय लगू।।
स्वर / लेखन – किशोरी दास_चेतन।
ढोलक – लाडली का लाडला_यश।
