मुख्य बिंदु
- – यह गीत उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में फुलारी बच्चों द्वारा घर की खुशहाली और समृद्धि के लिए गाया जाता है।
- – गीत में फूलों की सुंदरता और उनकी पवित्रता का वर्णन है, साथ ही जूठे फूलों को न तोड़ने की बात कही गई है।
- – गीत में प्राकृतिक तत्वों जैसे भौंरों, फूलों, और बसंत ऋतु का उल्लेख है, जो जीवन में खुशहाली लाने का प्रतीक हैं।
- – इसमें परिवार और समाज में प्रेम, सद्भाव और धार्मिकता बनाए रखने की प्रेरणा दी गई है।
- – गीत के माध्यम से बच्चों द्वारा घर में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की जाती है।

भजन के बोल
उत्तराखंड के कुमाऊं एवं गढ़वाल में फुलारी बच्चों द्वारा घर की खुशहाली तथा सुख सम्रद्धि के लिए गाया जाने वाला गीत।
चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी
मैं घौर छोड्यावा
हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालू बसंत
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि
चला फुलारी फूलों को
सौदा-सौदा फूल बिरौला
भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां
म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ
ना उनु धरम्यालु आगास
ना उनि मयालू यखै धरती
अजाण औंखा छिन पैंडा
मनखी अणमील चौतर्फी
छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा
मैं घौर छोड्यावा
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि
फुल फुलदेई दाल चौंल दे
घोघा देवा फ्योंल्या फूल
घोघा फूलदेई की डोली सजली
गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल
अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा
होला चैती पसरू मांगणा औजी खोला खोलो मा
ढक्यां द्वार मोर देखिकी फुलारी खौल्यां होला
