- – यह गीत जीवन के चार चरणों का वर्णन करता है: गर्भ में होना, जन्म लेना, सांसारिक जीवन बिताना और मृत्यु।
- – प्रत्येक चरण में मनुष्य की जागरूकता की कमी को दर्शाया गया है और बार-बार “जाग सके तो जाग” कहकर चेतना के जागने का आह्वान किया गया है।
- – गीत में राम भजन और ईश्वर की भक्ति की महत्ता बताई गई है, जो जीवन के सही मार्ग को दर्शाती है।
- – कबीर के शब्दों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि मृत्यु के समय प्रभु की याद न आना दुखद है, इसलिए जीवन में जागरूक रहना आवश्यक है।
- – यह गीत आत्मा की चेतना और जीवन के सार को समझने के लिए प्रेरित करता है, ताकि व्यक्ति जीवन को सही दिशा में ले जा सके।

घणा दिन सो लियो रे भाईडा,
अब जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग।।
अरे पेलो सोयो माँ री गर्भ में,
उल्टा पाव पसार,
अरे पेलो सोयो माँ री गर्भ में,
उल्टा पाव पसार,
कोल कियो हरी भजन को,
कोल कियो हरी भजन को,
कृपा करी किरतार,
जनम थारो हो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग।।
दूजो सोयो सोना रा पालने,
माता थाने हुलराय,
अरे दूजो सोयो सोना रा पालने,
माता घणो हुलराय,
दुध कटोरा भर भर पी रयो,
दुध कटोरा भर भर पी रयो,
सखीया मंगल गाय,
ए लाड थारो हो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग।।
तीजो सोयो तिरीया री सेज,
गल बीच बैया डाल,
अरे तीजो सोयो तिरीया री सेज,
गल बीच बैया डाल,
अरे राम भजन तू भूल गयो रे,
अरे राम भजन तू भूल गयो रे,
सुख में दिन बिताय,
राम भजन अब भूल गयो रे,
मनवा जाग सके तो,
घणा दिन सो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग।।
चौथो सोयो शमशान में,
लंबा पाव पसार,
अरे चौथो सोयो शमशान में,
लंबा पाव पसार,
कहत कबीर सुनो भई साधु,
कहत कबीर सुनो भई साधु,
अरे प्रभु नही आयो याद,
मरन थारो हो रयो रे,
मनवा जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग।।
घणा दिन सो लियो रे भाईडा,
अब जाग सके तो जाग,
घणा दिन सो रयो रे मनवा,
जाग सके तो जाग।।
गायक – शंकर जी टाक।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
