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- – भजन में गुरु की शरण में आने का महत्व बताया गया है, जहां शरण लेकर सुख और शांति प्राप्त होती है।
- – मन को काग की तरह अवगुणों से भर जाने के बाद सतगुरु ने उसे मोती यानी ज्ञान और सद्गुणों से भर दिया।
- – सतगुरु के शब्दों और बाणों से आत्मा में प्रकाश और नूर का संचार होता है।
- – गुरु की शरण में आने से मन की प्यास बुझती है और जीवन में अमृत समान आनंद और अमीरस बरसता है।
- – भजन में आत्मा और शिव के एकत्व का अनुभव और गुरु के गुणगान का वर्णन किया गया है।
- – यह भजन सुरेश लोहार द्वारा गाया गया है और सावला राम प्रजापती द्वारा प्रेषित है।

गुरासा शरण आपरी आया,
शरणों में आया,
बहुत सुख पाया,
मिट गया जमड़ा रा दाया,
गुरासा शरण आपरी आया।।
ओ मन म्हारो काग सरूपी,
अवगुन बहुत भराया,
सतगुरु स्वामी हंस बनाया,
मेहरम मोती पाया,
गुरासा शरण आपरी आया।।
ओ म्हारी सुरता घनी नखराली,
फिर फिर गोता खाया,
सतगुरु बाण शब्द रा वाया,
नुरता नीसाण घुराया,
गुरासा शरण आपरी आया।।
अब म्हारी सुरता लागी राम सु,
तारो तार मिलाया,
आठो पोहर अमीरस बरसे,
पिवत प्यास बूजाया,
गुरासा शरण आपरी आया।।
वेगम वाणी गम में जाणी,
आत्म में ओलखया,
जीव शिव एकण घऱ लाया,
हेमनाथ जस गाया,
गुरासा शरण आपरी आया।।
गुरासा शरण आपरी आया,
शरणों में आया,
बहुत सुख पाया,
मिट गया जमड़ा रा दाया,
गुरासा शरण आपरी आया।।
गायक – सुरेश लोहार।
भजन प्रेषक – सावला राम प्रजापती।
( 9610721737 )
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
