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- – यह भजन गुरूदेव से एक बार फिर आने की विनती करता है, जो भक्तों के दाता और रक्षक हैं।
- – भजन में जीवन के अंत समय में गुरूदेव की उपस्थिति और आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है।
- – भक्त अपने और गुरूदेव के बीच गहरे और अनमोल रिश्ते को दर्शाता है, जिसमें वह खुद को दास और गुरूदेव को दाता मानता है।
- – गुरूदेव को भक्तों के रक्षक और दीनों के सहायक के रूप में पूजा गया है, जो उनकी हर मनोकामना सुनते हैं।
- – भजन का तर्ज “जब दीप जले आना” है, जो आशा और विश्वास का प्रतीक है।
- – यह भजन श्री शिवनारायण वर्मा द्वारा रचित है और अभी इसका वीडियो उपलब्ध नहीं है।
गुरूदेव चले आना,
एक बार चले आना,
मुझ दीनन को दाता मेरे,
एक पल को न बिसराना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
तर्ज – जब दीप जले आना।
जब साँसे मेरी थमने लगे,
जब आँखे मेरी मुँदने लगे,
तुम पाँव मेरे सिर से दाता,
आकर के लगा जाना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
तुम हो जो अगर घट घट वासी,
तो सुनलो हे नँगली वासी,
मै दास तू है दाता मेरा,
ये रिश्ता निभा जाना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
तुम रक्षक हो प्रभू दीनन के,
और भक्तो के हो रखवाले,
मुझ दीनन की दाता मेरे,
अर्जी को न बिसराना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
गुरूदेव चले आना,
एक बार चले आना,
मुझ दीनन को दाता मेरे,
एक पल को न बिसराना,
गुरूदेव चलें आना,
एक बार चले आना।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
वीडियो अभी उपलब्ध नहीं।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
